इंदौर के रामबाग मुक्तिधाम में मंगलवार को अलग ही नजारा था। यहां एक अंत्येष्टि के दौरान प्रेयर भी हुई और श्लोक भी पढ़े गए। गमगीन भरे माहौल में ईसाई समाज ने फादर वर्गीस को अंतिम विदाई दी और शव का दहन इलेक्ट्रीक शवदाह गृह में किया। इंदौर में यूनिवर्सल सॉलीडेटरी मूवमेंट के फाउंडर रहे फादर वर्गीस आलेंगाडन का ७० वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने मृत्यु से पहले इच्छा जताई थी कि उन्हें मृत्यु के बाद कब्रिस्तान में दफनाने के बजाए मुक्तिधाम ले जाकर अंतिम संस्कार किया जाए। शहर में संभवतः यह पहला मौका है जब किसी फादर का अंतिम संस्कार मुक्तिधाम में हुआ।
फादर वर्गीस सर्वधर्म समितियों से जुड़े हुए थे और शहर के सामाजिक संगठनों में भी सक्रिय रहते थे। ४ मार्च को उनकी बायपास सर्जरी हुई थी। उसके बाद से उन्हें सांस लेने में परेशानी आ रही थी। वे राबर्ड नर्सिंग होम में भर्ती थे और उन्होंने रविवार को अंतिम सांस ली। केरल से उनके परिवार के लोग इंदौर पहुंचे और मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार मुक्तिधाम में हुआ।
अंगदान भी करना चाहते थे
फादर वर्गीस के परिजनों ने बताया कि वे गांधीवादी विचारों को मानते थे और कहते थे कि दूसरे धर्म की जो अच्छी परंपरा है। उसे भी मानना चाहिए। उनकी पास न कोई संपत्ति थी और न बैंक अकाउंट। वे कहते थे कि मरने के बाद मैं नहीं चाहता कि छह फीट जमीन का कब्जा करुं, इसलिए उन्होंने मृत्यु के बाद विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार की इच्छा जताई थी।