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जालोर जिले के सभी दस ब्लॉक अध्यक्षों में एक भी चौधरी नहीं, क्या अब सवाराम पटेल के नाम पर लगेगी जिलाध्यक्ष की मुहर ?

जालोर. जिले के सभी दस ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद अब जिलाध्यक्ष पद की धुंधली तस्वीर हल्की सी साफ होने लगी है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने रविवार को प्रदेश के 77 ब्लॉक अध्यक्षों की सूची में जालोर जिले के 8 ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा कर दी। इससे पहले सांचौर विधानसभा क्षेत्र के दोनों ब्लॉक अध्यक्ष घोषित किए जा चुके थे। ऐसे में इस घोषणा के साथ ही जिले की पांचों विधानसभा क्षेत्रों के सभी दस ब्लॉक अध्यक्षों की जिम्मेदारी तय हो गई है। अब केवल जिलाध्यक्ष व कांग्रेस के नए पैटर्न मंडल अध्यक्षों की घोषणा होनी है। इन ब्लॉक अध्यक्षों की सूची आने के बाद अब उन अनुमानों को मजबूती मिलने लगी है, जिसमें कहा जा रहा था कि जिलाध्यक्ष पद के लिए सवाराम पटेल की मजबूत दावेदारी है। हालांकि जिलाध्यक्ष पद के लिए दावेदारों की लंबी सूची है, लेकिन सभी दस ब्लॉक अध्यक्षों में एक भी चौधरी का नाम शामिल नहीं होने के कारण पटेल के नाम को जिलाध्यक्ष के लिए मजबूत माना जा रहा है।

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इनको बनाया ब्लॉक अध्यक्ष

प्रदेश कांग्रेस ने भोमाराम मेघवाल को जालोर, सवाईसिंह चंपावत को सायला, शैलेष देवासी को बागोड़ा, हीरालाल बोहरा को भीनमाल, वीरेंद्र जोशी को आहोर, गलबाराम मीणा को भाद्राजून, जीवाराम चौहान को जसवंतपुरा, वरदाराम माली को रानीवाड़ा, मेवाराम देवासी को चितलवाना व रायचन्दराम मेघवाल को सांचौर ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

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ये हैं जिलाध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार

सवाराम पटेल : जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में पहले भी प्रबल थे, लेकिन अब और मजबूती मिली है। सवाराम पटेल दो बार वर्ष 2013 व 2018 के विधानसभा चुनावों में आहोर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके है। हालांकि आहोर से टिकट की दावेदारी में है, लेकिन कांग्रेस की नई गाइडलाइन पर खरे नहीं उतर रहे है और अब कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष की सूची के मुताबिक सवाराम पटेल के नाम पर जिलाध्यक्ष पद की प्रबल संभावना बन गई है।

सवाराम पटेल

रतन देवासी : रानीवाड़ा के पूर्व विधायक व पूर्व उप मुख्य सचेतक रतन देवासी का भी नाम जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल है, लेकिन रतन देवासी भी रानीवाड़ा से इस बार फिर टिकट पर दावेदारी जता रहे है। वहीं चितलवाना से मेवाराम देवासी व बागोड़ा से शैलेष देवासी को ब्लॉक अध्यक्ष बना देने से रतन देवासी के जिलाध्यक्ष के बजाय टिकट मिलने उम्मीदें ज्यादा बढ़ गई है। चूंकि रतन देवासी कांग्रेस से सांसद प्रत्याशी रहे है।

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रतन देवासी

भंवरलाल मेघवाल : आहोर से पूर्व प्रधान भंवरलाल मेघवाल का भी जिलाध्यक्ष के प्रबल दावेदारों की सूची में नाम चल रहा था, लेकिन कांग्रेस ने जिले के दस में से तीन ब्लॉक अध्यक्ष मेघवाल बना दिए है, जालोर ब्लॉक से भोमाराम मेघवाल, जसवंतपुरा ब्लॉक से जीवाराम चौहान व सांचौर ब्लॉक से रायचन्दराम मेघवाल को ब्लॉक अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने से जातीय संतुलन को देखते हुए भंवरलाल मेघवाल जिलाध्यक्ष पद की दौड़ से अब बाहर माने जा रहे है।

डॉ शमशेर अली : सांचौर के पूर्व प्रधान रहे डॉ शमशेर अली का नाम भी जिलाध्यक्ष की दौड़ में था, लेकिन पिछले दिनों पीसीसी सदस्यों की सूची में सांचौर विधानसभा क्षेत्र से डॉ अली को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में शामिल कर दिया गया। इस कारण इनका नाम भी दौड़ से बाहर हुआ माना जा रहा है।

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नैनसिंह राजपुरोहित : पूर्व जिलाध्यक्ष नैनसिंह राजपुरोहित का नाम भी आपसी गुटबाजी को संतुलित करने के लिए जिलाध्यक्ष पद के लिए आगे किया हुआ था, लेकिन सुनील पुरोहित को युवा बोर्ड सदस्य व प्रताप पुरोहित को गोसेवा आयोग सदस्य बनाने के कारण जातीय समीकरण में नैनसिंह राजपुरोहित की भी संभावना कम हो गई है।

डॉ समरजीतसिंह : भीनमाल के पूर्व विधायक व निवर्तमान जिलाध्यक्ष डॉ समरजीतसिंह का भी जिलाध्यक्ष पद पर नाम रखा हुआ है, लेकिन डॉ सिंह ने चुनाव लड़ने की इच्छा के चलते पहले ही खुद को जिलाध्यक्ष पद से नाम वापस ले लिया है।

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डॉ समरजीतसिंह
पटेल की मजबूती का प्रमुख कारण

दरअसल, जालोर जिले में चौधरी समाज बाहुल्य है, एक समय में पांच में से दो सीट पर कांग्रेस चौधरी समाज से प्रत्याशी बनाती थी, लेकिन बाद में आहोर एक सीट पर मौका दिया जाने लगा। वहीं दूसरी ओर भाजपा की ओर से जिले की दो विधानसभा सीटों पर व एक लोकसभा सीट पर चौधरी समाज से प्रत्याशी उतारने से इस समाज का झुकाव भाजपा की तरफ अधिक होने लगा। जिसका भाजपा को भी चुनावी फायदा होने लगा। लिहाजा अब कांग्रेस को वोटबैंक साधे रखने के लिए सवाराम पटेल ही बड़ा विकल्प शेष है।

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