पंचायत भवन में बैठक कर सरपंच त्रिलोकनाथ अपने बेटे लालनाथ और मित्र रूपाराम के साथ बाहर निकले ही थे कि दो जीप और ट्रैक्टरों ने घेर लिया। आसपास के घरों में छिपे कुछ लोग भी निकल कर बाहर आए। किसी के हाथ में बर्छी थी, तो किसी के हाथ में लाठी, गंडासिया, कुल्हाड़ी और सरिया। हर किसी ने तीनों पर वार किया। इतना मारा कि तीनों की मौके पर ही मौत हो गई। मरने के बाद भी वार बंद नहीं हुए। त्रिलोकनाथ की आंखें बाहर निकाल दी गई, बेटे लालनाथ का पैर काट दिया गया और मर चुके रूपाराम के शव को क्षत विक्षत कर दिया। मामले में श्रीडूंगरगढ़ थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई। इस हत्याकांड में शामिल 19 लोगों को अदालत ने शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुना दी है। वहीं, मृतकों के परिजन इससे भी ज्यादा सख्त सजा की उम्मीद थी।
पुलिस ने इस मामले में 24 आरोपियों के खिलाफ 17 अक्टूबर 08 को कोर्ट में चालान पेश किया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद चार महिलाओं सहित 19 लोगों को हत्या का दोषी माना। दोषी को 27,500 रुपए का अर्थदंड भी चुकाना होगा। अर्थदंड की राशि जमा नहीं कराई तो 8 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। कोर्ट में कुल 22 गवाहों के बयान हुए।
परिवादी की ओर से ओपी हर्ष व राज्य की ओर से एपीपी संपूर्णानंद व्यास ने पैरवी की। मामले में एक शख्स नाबालिग था, जिसका प्रकरण किशोर न्याय बोर्ड में रेफर किया गया था। आरोपी मघाराम की कोर्ट में ट्रायल के दौरान 2014 में मौत हो गई थी। इसलिए उसके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई थी। मामले की गंभीरता काे देखते हुए इसकी जांच जयपुर क्राइम ब्रांच के तत्कालीन एएसपी नाजिम अली काे सौंपी गई थी। उन्होंने ही आरोपियों की गिरफ्तारियां और हथियारों की बरामदगी की थी।
दरअसल, त्रिलोकनाथ रिड़ी गांव का प्रतिष्ठित राजनीतिक व्यक्ति था। जो 1995 से 2008 तक सरपंच रहा। हत्या के बाद वर्ष 2015 से 2020 तक उनके छोटे बेटे की बहू सरपंच रही। त्रिलोकनाथ राजनीति में लगातार आगे बढ़ रहा था, इसी कारण कुछ स्थानीय लोग उससे दुश्मनी रखते थे।
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