उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे माघ मेले के दौरान ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने धर्म सेंसर बोर्ड की रुपरेखा प्रस्तुत करते हुए इसकी गाइडलाइन जारी करी। उन्होंने बताया के यह बोर्ड केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का पूरक होगा। जिसका उद्देश्य फिल्म और वेब सीरीज के द्वारा हिंदू देवी-देवताओं का अपमान, सनातन संस्कृति की छवि धूमिल करने के साथ ही अश्लीलता परोसने पर रोक लगाने के लिए की गयी है। उन्होंने बताया के नौ सदस्यीय इस बोर्ड में न्यायविद् और सिने जगत की हस्तियों के साथ साथ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक भी शामिल हैं।
त्रिवेणी मार्ग स्थित ज्योतिष्पीठ के शिविर में पत्रकारों को धर्म सेंसर बोर्ड के काम काज के तरीको के बारे में जानकारी देते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि किसी हिंदू देवी-देवताओं के रूप में धार्मिक किरदार को किसी भी फिल्म, वेब सीरीज में दिखाने की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी , जब तक उसके किसी भाग में कोई भी दृश्य, शब्दावली, संवाद, गीत, हाव -भाव, भावार्थ या कुछ भी सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति पर विपरीत असर डालता हो। जिस फिल्म में भी धर्म, संस्कृति, राष्ट्रीय मान बिंदुओं का हनन या उपहास होता हो, उसके प्रमाणन अथवा प्रदर्शन पर सम्यक रूप से रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि फिल्मों में महिला और पुरुष कलाकारों के परिधान भारतीय मर्यादा को रेखांकित करने वाले हों और अश्लीलता को बढ़ावा न मिले। दोअर्थी गीतों और भावों वाले संवाद पर भी रोक लगनी चाहिए। महिलाओं के साथ हिंसा की घटनाओं को भी प्रस्तुत न किया जाए। उन्होंने कहा की इन सब के लिए फिल्म सेंसर बोर्ड को धर्म सेंसर बोर्ड की विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए उससे सलाह लेनी चाहिए।