भारत से 11 सौ साल पुरानी भगवान नटराज की मूर्ति को चुराकर लंदन में बेचा गया। लंबे कानूनी संघर्ष के बाद उसे वापस लाया गया। ये दुलर्भ मूर्ति रविवार शाम करीब 25 साल बाद अपने मूल घर चित्तौड़गढ़ के बाडौली मंदिर पहुंची है। मूर्ति खंडित होने के कारण उसका अभिषेक या प्राण-प्रतिष्ठा नहीं की गई।
संतों के साथ ही लोगों ने दीपक से आरती और पुष्पवर्षा कर मूर्ति का स्वागत किया। इसके बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सौंपा। मूर्ति को देखने के लिए चित्तौड़ के काफी लोग प्रोग्राम में शामिल हुए। ये मूर्ति 23 साल पहले लंदन से इंडिया लेकर आ गए थे लेकिन कानूनी औपचारिकताओं के कारण चित्तौड़गढ़ नहीं आ पाई। सांसद सीपी जोशी के प्रयासों से चित्तौड़ वासियों को मकर संक्रांति पर मूर्ति तोहफे के रूप में मिली है। फिलहाल ये मूर्ति चित्तौड़ दुर्ग के तोपखाने में रखी जाएगी। इसे पर्यटक भी देख सकेंगे।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल चार फीट की 270 किलो वजनी नटराज की दुर्लभ मूर्ति को सुरक्षा घेरे के साथ दिल्ली से चित्तौड़गढ़ लाए। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर इस मूर्ति पर पुष्प वर्षा कर आरती की गई। इस मौके पर महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी, महंत चंद्रभारती महाराज, कालिका माता के महंत रामनारायण पूरी, नीलकंठ मंदिर के महंत जगन्नाथ पुरी महाराज, रूपगिरी महाराज मुख्य अतिथि थे। इस मौके पर संजुक्ता मुद्गल संयुक्त सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, प्रो. आलोक कुमार त्रिपाठी अपर महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली, अनिल कुमार तिवारी, निदेशक (पुरावशेष), भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली, डॉ. बीरी सिंह, अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, जोधपुर मंडल, सांसद सीपी जोशी, चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या, कपासन विधायक अर्जुन लाला जीनगर, जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल मौजूद थे।
Advertisement