- 29 को किसान महापंचायत का गांव बंद
- किसान संघर्ष समिति ने प्रेस वार्ता कर जानकारी दी
जालोर। किसान अब गांव बंद रख अपने हक के लिए शांतिपूर्ण तरीके से बिना किसी व्यवधान उत्पन्न किए अपने खेतों में काम कर अपनी आवाज को सरकार तक पहुँचाने का नया तरीका अपनाया है। किसान संघर्ष समिति के संयोजक विक्रम सिंह पुनासा, बद्रीदान नरपुर व गेमरसिंह ने शनिवार को शहर के रघु रतन होटल में प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी। पुनासा ने बताया कि किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामलाल जाट के नेतृत्व गांव बंद का आयोजन 29 जनवरी को किया जाएगा। इसको लेकर जालोर में किसान संघर्ष समिति ने इसका समर्थन किया और अधिक से अधिक किसानों तक यह बात पहुँचे ताकि 29 जनवरी को गांव बंद रखा जाए। पुनासा ने कहा कि इसका मकसद है कि हर खेत को पानी मीले, अनाज का वाजिब दाम मिले, फसल का समर्थन मूल्य नही मिल पा रहा है। सरकार ने कई फसलों का समर्थन मूल्य तय किया है लेकिन किसान को इसका फायदा नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि इस बंद में किसान एक दिन न तो ट्रेन में बैठेंगे, न ही बस में और न शहर आएंगे। दूध भी शहर में नहीं देंगे, खरीदारी नहीं करेंगे इससे किसी को कोई तकलीफ नहीं होगी और हमारी बात सरकार तक पहुँचेगी। पुनासा ने कहा कि आंदोलन करते हैं तो पुलिस प्रशासन लाठीचार्ज करते हैं सरकारें हमारी बात नहीं सुनती है इसलिए यह नया ट्रेंड है कि हम गांवो से बाहर नहीं निकलेंगे कानून हाथ में नहीं लेंगे और किसानों की आवाज को आगे पहुचाएंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि किसान की सुनने वाला कोई नहीं है। सरकारें केवल थोथे वादे करती है। पुनासा ने कहा कि माही के पानी को लेकर हमने गांवो में रथ यात्रा निकाली सरकार ने इसकी कोई सुध नहीं ली आखिर न्यायालय ने साथ दिया हमने रिट लगाई तब जाकर सरकार में हलचल हुई। उन्होंने कहा कि सांसद चुनाव के समय मुख्यमंत्री आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भीनमाल आएऔर पानी देने का वादा किया पानी देंगे लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हम हक का पानी जो व्यर्थ बहकर समंदर में जा रहा है वो मांग रहे हैं।

किसान नेता बद्रीदान नरपुरा ने कहा कि हम माही बेसिन जल क्षेत्र में उपलब्ध पानी की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसको लेकर हमने 121 बार आरटीआई लगा 1795 पेज हासिल किए और न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिए कि किस तरह से राजस्थान मे पानी उपलब्ध हो। इस पर राज्य सरकार ने भी पहल कर 26लाख 43 हजार रुपए सर्वे व फिजिबिलिटी रिपोर्ट के लिए जारी किए और इसके लिए वेप्कोस कंपनी को टेंडर दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि कडाना डेम में हमारे हक का पानी मिले, माही बेसिन जल ओवरफ्लो होकर खंभात की खाड़ी में जा रहा है वो डायवर्ट कर पश्चिम राजस्थान को दिया जाए। इस पर राजस्थान सरकार ने डब्ल्यूआरसीपी(wrcp) योजना के तहत चीफ इंजीनियर ने सीएम को सलाह दी कि माही बेसिन जल कडाना से ओवरफ्लो होकर खंभात की खाड़ी में जा रहा है उसको सरल तरीके से कम खर्च और कम समय में जालोर, बाड़मेर और सिरोही को उपलब्ध करा सकते हैं इसको लेकर भी सांसद के नेतृत्व में सीएम से मुलाकात कर आगे की प्रोसेस के लिए हम प्रयास करेंगे।