जालोर. अखिल भारतीय साहित्य परिषद जालोर इकाई व जैन संघ के संयुक्त तत्वाधान में ईश्वरलाल शर्मा सभागार में भगवान महावीर के अहिंसा दर्शन की प्रासंगिकता पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मंच पर वरिष्ठ अधिवक्ता मधुसूदन व्यास, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष परमानंद भट्ट, लायंस क्लब के अध्यक्ष कालुराज मेहता, वरिष्ठ शिक्षाविद मूलराज भण्डारी, व सीनियर सिटीजन फोरम के अध्यक्ष ऋषि कुमार दवे मौजूद रहे।
गोष्ठी का आरंभ जैन संघ के विकास बोहरा ने स्वागत भाषण देकर किया, जिसके बाद वरिष्ठ साहित्यकार अचलेश्वर आनंद ने विभिन्न ऐतिहासिक प्रसंगों को सुनाते हुए विषय पर प्रकाश डाला, वरिष्ठ शिक्षाविद ओमप्रकाश खंडेलवाल ने महावीर के दर्शन को गहराई से समझाते हुए उनकी वर्तमान में प्रासंगिकता को समझाया, ललित दवे ने अहिंसा का मानव जीवन में महत्व समझाया, इसी क्रम में, मदनराज बोहरा ने महावीर के विराट व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला, कांतिलाल भंडारी ने महावीर के दर्शन का दैनिक जीवन में महत्व समझाया, राजेंद्र बोहरा ने महावीर के व्यक्तित्व और कृतित्व पे प्रकाश डाला,
इसके बाद धनपत मुथा ने अपने विचार व्यक्त किए, इसके बाद गोष्ठी ने अपना रुख मंच पर बैठे अतिथियों की ओर किया, जहां अधिवक्ता मधुसूदन ने कहा कि महावीर की अहिंसा विचार की अहिंसा नहीं व्यवहार की अहिंसा है ,परमानंद भट्ट ने कहा कि अहिंसा सबसे बड़ी वीरता है कालुराज मेहता ने रात्रि भोजन के निषेध की वैज्ञानिकता पर बात रखी मूलराज भण्डारी ने भगवान महावीर को वीरों का वीर बताया व कार्यक्रम के अंत में सीनियर सिटीजन फोरम के अध्यक्ष ऋषि दवे व अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष अश्विन श्रीमाली द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता कुलदीप खंडेलवाल द्वारा किया गया, इस अवसर पर कानराम परमार, देवेन्द्र नाग, वरिष्ठ पत्रकार भँवरसिंह सोलंकी, साँवलाराम माली सहित जालोर के प्रबुद्ध जन मौजूद रहे।