जालोर. कृषि विज्ञान केन्द्र केशवना द्वारा अनुसूचित जनजाति उपयोजना के तहत विभिन्न तकनीकी हस्तक्षेपों के माध्यम से अनुसूचित जनजाति वर्ग के परिवार की आय में वृद्धि करने तथा स्थायी आजीविका प्रदान कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से जनजातीय किसानों के लिए जीरे की वैज्ञानिक खेती पर 18 से 21 नवम्बर तक केन्द्र में 4 दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के नोडल ऑफिसर डॉ. पवन कुमार पारीक ने किसानों को जीरे की फसल की उन्नत खेती की जानकारी देते हुए जीरे फसल को पश्चिमी राजस्थान में उगाई जाने बाली प्रमुख फसल बताया एवं जीरे की किस्म जीसी-4 की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी तथा जीरे की वैज्ञानिक खेती के लिए बुवाई से कटाई तक सभी कृषि क्रियाओं के बारे में विस्तार से समझाया।
मौसम विशेषज्ञ आनंद शर्मा ने किसानों को मौसम आधारित जीरा फसल की खेती के बारे में जानकारी देते हुए जीरा फसल कि बुवाई एवं अन्य कृषि क्रियाओं के लिए अनुकूल समय के बारे में अवगत करवाया। सहायक आचार्य डॉ. रतनलाल शर्मा ने जीरे की फसल में लगने वाले रोग एवं कीटों के बारे में जानकारी दी। केंद्र की प्रसार विशेषज्ञ सुमन शर्मा ने किसानों को जीरा फसल के मूल्य संवर्धन के स्कोप बताएं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को जीरे की उन्नत किस्म जीसी-4 का अग्रिम पक्ति प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में राजीविका के एलआरपी चेतन गर्ग व डीएम-एलआरपी राकेश मीणा सहित अनुसूचित जनजाति वर्ग के लगभग 30 किसान उपस्थित रहे।