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समाप्त होगा सांचौर जिला, भाजपा एक ही बनाएगी जिलाध्यक्ष, मुकाबले में दीपसिंह का नाम मजबूत

  • करीब पांच साल बाद जालोर भाजपा को मिलेगा नया जिलाध्यक्ष

दिलीप डूडी, जालोर. राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनावों के बाद प्रदेश में सरकार व भाजपा संगठन कुछ नए निर्णय करने जा रही है। बताया जा रहा है पिछली कांग्रेस सरकार के बनाए कुछ जिले व्यवस्थित नहीं होने से सरकार समाप्त करने का निर्णय कर सकती है, वहीं प्रदेश भाजपा संगठन में भी नए प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद कई जिलों में जिलाध्यक्ष नए बनाए जा सकते है। इन दोनों निर्णय में जालोर जिले का भी नाम शामिल है। क्योंकि बताया जा रहा है नवगठित सांचौर जिले को भाजपा सरकार समाप्त करने की पूरी तैयारी कर चुकी है। इसके तहत इसे पुनः जालोर जिले में शामिल किया जाएगा। जिस कारण भाजपा संगठन में भी फिर से एक ही जिलाध्यक्ष बनाया जा सकेगा।

आइए जानते है भाजपा जालोर जिलाध्यक्ष पद के कितने दावेदार

जालोर भाजपा के वर्तमान में श्रवणसिंह राव जिला अध्यक्ष है। करीब पिछले पांच साल से इस पद पर है। अब पार्टी नया जिलाध्यक्ष बनाना चाह रही है। अब इस दौड़ में कई नाम भी शामिल है। इस दौड़ में इस बार दीपसिंह चंपावत (धनानी), प्रकाश छाजेड़, भूपेंद्र देवासी, वन्नेसिंह गोहिल, मुकेश खंडेलवाल, धुखाराम पुरोहित, महेंद्रसिंह झाब, रमेश पुरोहित, जसराज पुरोहित, गणपतसिंह राव समेत कई नाम है। अब संगठन जालोर के साथ लोकसभा क्षेत्र सिरोही को भी ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने को विचार कर रहा है। ऐसे में यह जिम्मेदारी किसे दी जाएगी, यह स्पष्ट कहना मुश्किल होगा।

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एक भी विधायक नहीं होने का दीपसिंह को मिल सकता है फायदा

भाजपा संगठन में इस बार जिला अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की दौड़ में दीपसिंह धनानी का नाम प्रबल बताया जा रहा है। इसके पीछे मजबूत कारण यह है कि जालोर-सिरोही की आठ विधानसभा सीटों में से एक भी सीट पर राजपूत विधायक नहीं है। साथ ही जालोर विधानसभा सीट पर निर्दलीय पवनीदेवी खड़ी होने के बावजूद दीपसिंह ने जोगेश्वर गर्ग के साथ टीम के रूप में काम करते हुए बड़े अंतर से भाजपा को जीत दिलाने में कामयाब हुए। इसके अलावा इनकी कहीं से विधानसभा की दावेदारी की संभावना नहीं होने से तथा दीपसिंह की संगठन में ऊपर स्तर पर भी अच्छी पकड़ होने से इनका नाम इस बार प्रबल बताया जा रहा है, उधर, सिरोही जिलाध्यक्ष पद पर सांसद लुम्बाराम चौधरी गणपतसिंह देवड़ा के नाम की पैरवी कर रहे है, लेकिन मंत्री ओटाराम देवासी देवड़ा के नाम पर कम सहमत बताए जा रहे है। ऐसी परिस्थिति में जालोर में दीपसिंह को मौका मिलने की संभावना बन सकती है।

छाजेड़ भी दौड़ में शामिल

जिला महामंत्री प्रकाश छाजेड़ भी जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं, पार्टी में मैनेजमेंट संभालने का लंबा अनुभव है, सांचौर से लेकर जालोर तक सभी गुटों में अपनी पकड़ बनाए हुए है।

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वोटबैंक के कारण भूपेंद्र देवासी का भी नाम शामिल

जालोर सिरोही लोकसभा क्षेत्र में देवासी वोटबैंक बाहुल्य होने के कारण भूपेंद्र देवासी का भी नाम जिलाध्यक्ष पद की रेस में शामिल बताया जा रहा है, लेकिन सिरोही से ओटाराम देवासी के मंत्री बनाए जाने से तथा सांवलाराम देवासी के प्रदेश पैनेलिस्ट में जिम्मेदारी होने से भूपेंद्र देवासी को मुश्किल हो सकती है।

गोहिल भी चाह रहे जिलाध्यक्ष का पद

पूर्व जिला प्रमुख डॉ वन्नेसिंह गोहिल भी जालोर भाजपा के जिलाध्यक्ष बनने का प्रयास कर रहे है। संघ में अच्छी पकड़ व वर्तमान जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव का साथ भी मिल सकता है, लेकिन 2023 में सांचौर में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की हार व भविष्य में दावेदारी की मंशा रखना इनके लिए संकट बन सकती है।

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खंडेलवाल के नाम की भी बनी है चर्चा

जालोर जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में महामंत्री रहे मुकेश खंडेलवाल के नाम की भी चर्चा बनी हुई है। बताया जा रहा है कि रानीवाड़ा के पूर्व विधायक नारायणसिंह देवल की भी इनके नाम से प्रबल पैरवी की जा रही है। साफ छवि के खंडेलवाल को भी संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है, लेकिन जातीय समीकरण में कमजोरी से पिछड़ने की आशंका बनी हुई है।

महेंद्रसिंह झाब का भी चला है नाम

जिलाध्यक्ष पद के लिए महेंद्रसिंह झाब का भी नाम चला है। सांचौर जिले की संभावना के चलते सांचौर से नाम चलाया था, अब जालोर से दीपसिंह का नाम चलने से झाब का नाम कमजोर पड़ सकता है।

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रमेश पुरोहित भी संगठन में रखते है मजबूत पकड़

यहां भीनमाल से रमेश पुरोहित भी जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं। संघ में इनकी अच्छी पकड़ भी है, लेकिन यहां से धुखाराम पुरोहित व जसराज पुरोहित भी जिलाध्यक्ष की दावेदारी में शामिल होने के कारण इनके लिए मुश्किल हो सकती है। इनके अलावा उम्मेदाबाद मंडल अध्यक्ष गणपतसिंह राव का नाम भी संगठन में मजबूत है, लेकिन वर्तमान में श्रवणसिंह राव के जिलाध्यक्ष होने के कारण एक समाज के व्यक्ति को रिपीट करना पार्टी के लिए मुश्किल हो रहा है।

मजबूत नाम का चयन करना चुनौती

दरअसल, भाजपा के सामने इस बार जिलाध्यक्ष पद पर मजबूत नाम चयन करना चुनौती बना हुआ है। एक समय था जब लोकसभा क्षेत्र की आठ में से 7 सीट पर भाजपा के विधायक थे, लेकिन 2023 के चुनाव में भाजपा आठ में से केवल 4 सीट ही जीत पाई। वहीं लोकसभा चुनाव में भी लीड घट गई। इस कारण भाजपा संगठन ऐसे चेहरे पर दांव खेलना चाहता है जिसका कोई विरोध न हो। इसे देखते हुए अनुभवी व कृषि मंडी के पूर्व चेयरमैन दीपसिंह धनानी के नाम पर मोहर लगने की संभावना अधिक है।

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