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बजट के अभाव में गड़बड़ाने लगी एनएचएम की व्यवस्थाएं, जालोर में 14 करोड़ के स्थान पर वित्तीय वर्ष में मिले केवल डेढ़ करोड़

  • कार्मिकों व संसाधनों का प्रबंधन हुआ मुश्किल

दिलीप डूडी, जालोर. परिवार कल्याण, बाल स्वास्थ्य, टीबी नियंत्रण, दृष्टिहीनता नियंत्रण, कुष्ठ रोग, आयोडीन अल्पता विकार समेत स्वास्थ्य सुधारों के लिए शुरू किया गया मिशन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) इन दिनों प्रदेश में बजट के अभाव में गड़बड़ाता जा रहा है। मिशन के तहत सरकार की ओर से इस वित्तीय वर्ष में जालोर जिले में बजट नाम मात्र का ही दिया गया है, जिस कारण न तो योजनाओं का संचालन हो पा रहा है और न ही संसधानों का। खासकर बजट का अभाव होने के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में एनएचएम के तहत संचालित व्यवस्थाएं लड़खड़ाने लगी है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका भी जताई जाने लगी है।

प्रतिमाह ढाई करोड़ की जरूरत, छह महीने में मिले केवल डेढ़ करोड़

आपको बता दें कि जिले में सीएचओ, एएनएम, पीएचसी सुपरवाइजर, जीएनएम, आशा फेसिलिटेटर, प्रबंधक समेत विभिन्न पदों पर कार्मिक अधिकारी काम करते है, इसके अलावा जिलेभर में मिशन के बेहतर संचालन के लिए मशीनरी का भी उपयोग किया जाता है। इस कारण जालोर जिलेभर में हर महीने एनएचएम के बेहतर संचालन के लिए करीब ढाई करोड़ रुपए का खर्च आता है। इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से सितंबर तक करीब 14 करोड़ रुपए बजट की जरूरत थी, लेकिन सरकार ने जिले में एनएचएम को केवल एक करोड़ 60 लाख रुपए ही जारी किए है। ऐसे में मशीनरी का संचालन करने में अब मुश्किल होता जा रहा है।

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वेतन के अभाव में कार्मिक परेशान

एनएचएम के तहत जिलेभर में तैनात कई कार्मिकों का काफी समय वेतन अटका पड़ा है। इस कारण उन्हें भी परेशानी हो रही है। मौसमी बीमारियों से मुकाबला करने में आगे रहने वाली टीम अब बजट के अभाव में हौसला खोने लगी है। केवल जालोर ही नहीं बल्कि अन्य जिलों में तो एनएचएम के कार्मिक तो धरना प्रदर्शन करने पर उतारू हो चुके है। पिछले दिनों नागौर में तो बड़ा धरना प्रदर्शन कर कार्मिक चेतावनी दे चुके है।

व्यवस्थाओं के संचालन में दिक्कत

एनएचएम के तहत बजट जारी नहीं होने के कारण जननी सुरक्षा योजना, राजश्री योजना, परिवार कल्याण को लेकर निजी संस्थाओं के बिलों का निस्तारण में करने समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं मिशन के तहत संचालित वाहनों के संचालन भी अब मुश्किल होने लगे है। इधर, प्रशासन जिलेभर में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए चिकित्सा विभाग को हर बार बैठकों में निर्देशित करता है, लेकिन बिना एनएचएम के ये स्वास्थ्य सेवाएं जिले में व्यवस्थित संचालित हो पाएगी, यह सोचनीय है।

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इनका कहना है…

मेरे सामने फिलहाल इस विषय की कोई शिकायत आई नहीं है, लेकिन फिर भी ऐसा मामला है तो मैं सरकार को ध्यानाकर्षण करवाऊंगा। जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाए रखने में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।

  • लुम्बाराम चौधरी, सांसद, जालोर

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