जालोर . जिले के जनजातीय बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में जनजातीय परिवारों के लिए परिपूर्णता लक्ष्य को अपना कर जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए जालोर जिले के 6 ब्लॉकों के 91 गांवों में प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान चलाया जायेगा।
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने बताया कि केन्द्र सरकार ने देशभर के आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए 79,156 करोड़ रुपये की एक ऐतिहासिक योजना को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य आदिवासी समुदायों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की गई, जिसका क्रियान्वयन 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 549 जिलों में किया जाएगा। योजना के तहत 63 हजार से अधिक गांवों को चुना गया है, जहां करीब 5 करोड़ से अधिक आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोग लाभान्वित होंगे।
यह योजना आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, शिक्षा के प्रसार और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यापक दृष्टिकोण रखती है। 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में 10-45 करोड़ से अधिक आदिवासी समुदायों की आबादी है, जो मुख्य रूप से दूरदराज और पिछड़े क्षेत्रों में निवास करती है। यह योजना इन्हीं समुदायों के जीवन स्तर में सुधार के लिए एक बड़ा कदम है।
उन्होंने बताया कि जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय बजट वर्ष 2024-25 में की गई घोषणा के अनुसरण में प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान प्रारंभ किया गया है जिसके तहत 17 मंत्रालयों से संबंधित 25 इन्टरवेन्शन्स का क्रियान्वयन किया जायेगा। जालोर जिले में 6 ब्लॉकों के 91 गांवों में प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान चलाया जायेगा जिसमें 18 विभागों की योजनाओं से जनजातीय परिवारों को लाभांवित किया जायेगा।
अभियान के तहत 2 अक्टूबर को होने वाले जिला स्तरीय समारोह के लिए समिति का गठन
प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के तहत 2 अक्टूबर को जिला स्तरीय समारोह के सफल आयोजन के लिए जिला स्तरीय समिति में जिला परिषद ग्राविप्र जालोर के अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता सीडी, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी छगनलाल मीणा व वरिष्ठ सहायक रमेश सैनी को नियुक्त किया गया है।
योजना की मुख्य विशेषताएं
आवास और बुनियादी सुविधाओं का विकास
योजना के तहत 20 लाख से अधिक पक्के मकानों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें हर घर को स्वच्छ जल (जल जीवन मिशन) और बिजली (सौभाग्य योजना) की सुविधाएं दी जाएंगी। इसके साथ ही, इन आवासों को स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों और अन्य बुनियादी सुविधाओं से जोड़ा जाएगा। इससे आदिवासी क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षित और स्वच्छ आवास की सुविधा मिलेगी।
कौशल विकास और रोजगार के अवसर
आदिवासी युवाओं को विभिन्न तकनीकी और व्यावसायिक कौशलों में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे वे स्वरोजगार और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा दे सकें। इसके तहत, युवाओं को फूड प्रोसेसिंग, कृषि, मत्स्य पालन और पशुपालन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही, ट्राइबल होमस्टे और पर्यटन के विकास के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य आदिवासी समुदायों में स्वरोजगार और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना है।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
आदिवासी क्षेत्रों में 1 हजार से अधिक मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना की जाएगी, जो दूरदराज के क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेंगी। आयुष्मान भारत योजना के तहत इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को 5 लाख रुपये तक की मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा, इन इलाकों में टेलीमेडिसिन सेवाओं का भी विस्तार किया जाएगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाई जा सकेगी।
शिक्षा और बुनियादी ढांचा
आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार के लिए कई नई योजनाओं की शुरुआत की जाएगी। इसमें 1 हजार नए छात्रावासों का निर्माण और आदिवासी छात्रों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर नए स्कूलों की स्थापना की जाएगी। साथ ही, आदिवासी इलाकों में डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क की पहुंच को सुनिश्चित किया जाएगा।
पर्यटन और ग्रामीण विकास
सरकार द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 1 हजार गांवों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें स्थानीय परिवारों को होमस्टे के माध्यम से रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे। सरकार द्वारा इन होमस्टे के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिससे पर्यटन और आर्थिक विकास दोनों को गति मिल सके।
एफआरए पट्टाधारकों के लिए विशेष योजनाएं
वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत मान्यता प्राप्त पट्टाधारकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा, जिसमें कृषि, पशुपालन और अन्य संसाधनों से जुड़ी योजनाएं शामिल होंगी। इससे वन क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाएगा और उनके भूमि अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
संरक्षित वन क्षेत्र और पर्यावरण संरक्षण
वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों की आजीविका के लिए पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए विकास योजनाओं को लागू किया जाएगा। इसमें वन उत्पादों के संरक्षण और सतत उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि वन संसाधनों की रक्षा की जा सके और आदिवासियों की आय में वृद्धि हो।
उल्लेखनीय है कि इस योजना का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से आदिवासी समुदायों का सशक्तिकरण और दीर्घकालिक समृद्धि सुनिश्चित करना है। इस योजना से न केवल इन क्षेत्रों में विकास होगा, बल्कि आदिवासी समुदायों को भी मुख्यधारा से जोड़ने का महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।