जालोर. सनातन धर्म सेवा एवं संवर्धन संस्थान की आम मीटिंग रात्रि 8 बजे आयोजित हुई। उसमें लिए गए निर्णय अनुसार जिला कलेक्टर को ज्ञापन बुधवार 11 बजे दिया गया। कलेक्टर को अवगत कराया कि जालौर शहर के मैन रोड व शहर के बीचों बीच कसाईवाड़ा पुरानी भील बस्ती पर बनाया गया और आज भी कुछ भील समाज के घर हैं और नारकीय जीवन व्यतीत करते हैं कसाईवाड़ा अवैध, बिना व्यावसायिक नियमन व 7 व्यक्ति को छोड़कर बिना वैद्य लाइसेंस के, अस्पताल, बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, व मंदिर वह मठों के आने वाले रास्तों के बीच में स्थित है ।
यहां के व्यापारी जानवरों के खून को नालियों में बहाते हैं जो आम रास्तों पर नालियों मार्फत फैलता हैं, और सनातन धर्म को मानने वालों को अपवित्र करने के साथ आस्था को भी ठेस पहुंचता है। इसके अतिरिक्त इस बस्ती के बीचो-बीच हिंदू समाज के हनुमान जी मंदिर, पाबूजी मंदिर, माताजी मंदिर आज भी बने हुए हैं, और इस बस्ती के लोग इन मंदिरों को अपवित्र भी करते हैं। जालौर की जनता के 90% लोगों का आने-जाने का रास्ता कसाईवाड़े के बीच से ही जाता है। जिससे जानवरों को मारने से बदबू आती है। यह लोग प्रतिदिन उन कटे हुए जानवरों के बाल को भी जलाते हैं जिससे धुआं फैलता हैऔर बदबू आती है। अतः कसाईवाड़े के वर्तमान स्थान से शहर के बाहर के दुरस्त स्थान शिफ्ट करवाने के बारे में संस्थान द्वारा ज्ञापन दिया गया। साथ ही जालौर के स्वर्णगिरी पर्वत पर ड्रोन द्वारा बीजों का छिड़काव कराकर भारी मात्रा में बीजों से पेड़ पनपाया जाए जिससे हरित जालौर के गौरव से पुनः अलंकृत किया जा सके।
ज्ञापन देते समय बंशीलाल सोनी, भंवरसिंह सोलंकी, नारायण राजपुरोहित, मदनसिंह राठौड़, हेमंत सेन, छगन रामावत, मदनसिंह बरना, ललित दवे, रमेश गहलोत, रामलाल माली, समेलाराम, दिनेश बारोट, दिलीप सोलंकी सुनील शर्मा, बंसीलाल सेन, मोहनलाल लोहार, संभाजी मराठा, नेनाराम माली, पप्पू बंजारा, सोमनाथ, चौथाराम, मगनाराम, मांगीलाल कच्छावा, नंदलाल खटीक, मीठालाल सांखला, आदि बहुत से सदस्य उपस्थित उपस्थित थे।