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जालोर में नाममात्र की पीजी कॉलेज, विज्ञान संकाय के एक भी विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री की व्यवस्था नहीं

  • व्याख्याताओं की भी है कमी
  • गणित जैसे महत्वपूर्ण विषय में तो एक भी व्याख्याता नहीं

दिलीप डूडी, जालोर. जालोर जिला मुख्यालय पर संचालित वीर वीरमदेव राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सरकार की अनदेखी का दंश झेल रहा है। यही वजह है कि यहां आवश्यक सुविधाओं की कमी बनी हुई है। इस महाविद्यालय को स्नातकोत्तर (मास्टर डिग्री) स्तर का कॉलेज माना जाता है, लेकिन वास्तविकता में केवल नाममात्र का है। क्योंकि यहां केवल तीन विषयों में ही मास्टर डिग्री की सुविधा है। शेष में स्नातक स्तर की पढ़ाई करने के बाद मास्टर डिग्री के लिए विद्यार्थियों को अन्यत्र जाना पड़ता है। खासकर विज्ञान संकाय में तो एक भी विषय में स्नातकोत्तर कोर्स की उपलब्धता नहीं है। वहीं बैचलर स्तर के लिए भी उपयुक्त व्यख्याताओं की व्यवस्था भी नहीं है, ऐसे में स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि जालोर पीजी कॉलेज का कोई धणी धोरी भी नहीं है। यहाँ न तो जनप्रतिनिधियों की ओर से खास प्रयास किए गए हैं और न ही प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे उच्च स्तर पर अवगत कराया है। लिहाजा स्नातक डिग्री के बाद अधिकांश विद्यार्थियों को यह कॉलेज छोड़ने को मजबूर होना पड़ता है।

इन तीन विषयों में ही है स्नातकोत्तर की व्यवस्था

इस महाविद्यालय में कला वर्ग के अर्थशास्त्र व इतिहास तथा वाणिज्य वर्ग के अकाउंटेंसी एंड बिजनेस स्टेटिक्स विषय में ही स्नातकोत्तर की डिग्री की पढ़ाई करने की व्यवस्था है। जबकि कला वर्ग में तो वर्तमान में भूगोल, राजनीति विज्ञान, हिंदी, अंग्रेजी जैसे विषय रुचिकर बने हुए हैं और इन विषयों में अधिकांश विद्यार्थी स्नातकोत्तर की डिग्री लेना पसंद भी करते हैं, स्नातक स्तर पर भी कई विद्यार्थियों को पीजी स्तर का ख्याल रखते हुए अपने विषय बदलने पड़ रहे हैं।

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विज्ञान वर्ग के एक भी विषय में मास्टर डिग्री की व्यवस्था नहीं

जालोर के वीर वीरमदेव राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अगर कोई विज्ञान विषय से विद्यार्थी स्नातक की डिग्री ले रहा है तो उसे स्नातकोत्तर की डिग्री के लिए यह महाविद्यालय छोड़ना पड़ेगा, क्योंकि यहां विज्ञान में मास्टर डिग्री की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई है। जबकि स्नातक स्तर की पढ़ाई देखी जाए तो विज्ञान विषय में सैकड़ों विद्यार्थी अध्ययनरत है। विशेषकर रसायन विज्ञान में तो पोस्ट ग्रेजुएट करने की खास रुचि रहती है, यहां समस्त करीब 2900 विद्यार्थियों में से 600 से अधिक रसायन विषय के विद्यार्थी मिल जाएंगे, लेकिन पीजी के अभाव में विद्यार्थियों को अन्यत्र कॉलेज ढूंढनी पड़ती है। सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि यहां वर्तमान में गणित विषय के लिए तो एक भी व्याख्याता का पद नहीं भरा हुआ है।

कम होने के बावजूद 5 प्रतिनियुक्ति पर

यहाँ इस कॉलेज में शैक्षणिक गतिविधियों के लिए 39 पद स्वीकृत है, लेकिन इनमें से 14 ही कार्यरत है, इसके अलावा 5 को अन्यत्र प्रतिनियुक्ति पर लगा रखा है। ऐसे में विद्यार्थियों का सिलेबस भी पूरा नहीं हो पाता है।

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इनका कहना है …

जालोर पीजी कॉलेज की जानकारी मेरे सामने आई है, विज्ञान वर्ग के किसी भी विषय में पीजी स्तर की व्यवस्था नहीं है। अगर विद्यार्थियों को डिमांड है तो वे मांग करें। इसके लिए प्रयास करेंगे।

  • जोगेश्वर गर्ग, विधायक जालोर व मुख्य सचेतक राजस्थान विधानसभा

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