जालोर. राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सरलीकरण हेतु एवं अधिक प्रभावी बनाने को लेकर सुझावों के संबंध में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है। जिसमें बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भारत सरकार की किसान कल्याणकारी योजनाओं में सर्वश्रेष्ठ योजना है। किसी भी प्राकृतिक आपदा में फसल खराब होने की स्थिति में यह योजना किसानों के लिए संजीवनी का काम करती है।
इस योजना का लाभ लेने में व्यवहारिक धरातल पर कुछ समस्यायें सामने आती हैं, जिनका निराकरण हो जावें तो यह योजना और अधिक लाभकारी साबित हो सकती है। गर्ग ने बताया कि समस्या वर्तमान में फसल बीमा हेतु राज्य के समस्त जिलों में एक ही कम्पनी को टेण्डर मिला हुआ है, जिसके कारण उस कम्पनी का एकाधिकार हो गया है और वह कम्पनी अनेक बार बीमा क्लेम देते समय प्रक्रिया में अपनी मनमानी करती है। समाधान फसल बीमा में आवंटन जिलावार ना होकर उपखण्डवार होना चाहिए। किसी भी एक कम्पनी को पांच-सात जिलों से ज्यादा जिले आवंटित नहीं होने चाहिए। साथ ही फसल बीमा के टेण्डर प्रतिवर्ष होने चाहिए। ऐसा करने से कम्पनी का एकाधिकार समाप्त होगा एवं विभिन्न कम्पनियों में प्रतिस्पर्धा की भावना से सभी किसानों को अच्छी सेवा भी मिलेगी। इसी प्रकार बताया कि समस्या फसली बीमा का क्लेम निर्धारित करने हेतु ऑटोमेटिक वैदर स्टेशन से डाटा – लिया जाता है। क्लेम निर्धारण का यह मूल आधार है। परन्तु अक्सर यह देखा गया है कि ऑटोमेटिक वैदर स्टेशन रखरखाव की समुचित व्यवस्था के अभाव में सही डाटा समय पर उपलब्ध नहीं करवा पाते हैं।
इसका असर बीमा क्लेम के निर्धारण पर पड़ता है।समाधान ऑटोमेटिक वैदर स्टेशन के सुचारू संचालन की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि प्रत्येक स्टेशन के आरटीडी पर उपलब्ध डाटा की उपखण्ड स्तर पर साप्ताहिक एवं जिला स्तर पर पाक्षिक समीक्षा और मॉनीटरिंग होनी चाहिए, जिससे स्टेशन के व्यवस्थित चालू नहीं होने की सूचना समय पर मिलती रहें। ऐसा करने से मौसम की जानकारी के संबंध में कोई कमी नहीं आयेगी और बीमा निर्धारण समय पर हो सकेगा।समस्या फसल बीमा की जानकारी के प्रचार-प्रसार का कार्य टेण्डर प्रक्रिया से राज्य स्तर पर किया जाता है। इससे कार्य केन्द्रीकृत हो जाता है और राज्य के सुदूर स्थानों तक योजना की पर्याप्त जानकारी नहीं पहुंच पाती है।
समाधान फसल बीमा के प्रचार-प्रसार का कार्य जिला स्तर पर कार्य कर रहे ऐसे एफपीओ व एनजीओ को दिया जावे, जिनको धरातल पर कार्य करने का अच्छा अनुभव हो और जिनका किसानों से सीधा सम्पर्क हो। ऐसा करने से योजना के संबंध में सम्पूर्ण जानकारी सीधे ही किसानों तक पहुंच पायेगी तथा किसान योजना का पूर्ण लाभ ले सकेंगे। ऐसे ही कुछ अन्य उपाय भी विभिन्न संगठनों की सलाह से किये जा सकते है, जिसके कारण इस योजना को अधिक प्रभावी, अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है।