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जालोरहेल्थ

थैलेसीमिया हीमोफिलिया रक्तदान जागरूकता कार्यशाला आयोजित

जालोर. चिकित्सा विभाग सामान्य चिकित्सालय जालोर द्वारा थैलेसीमिया हीमोफिलिया रक्तदान जागरूकता अभियान के अंतर्गत आमजन को जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित पी.एम.ओ सामान्य चिकित्सालय जालोर डॉ.पूनम टाँक ने बताया कि थैलेसीमिया ब्लड का गंभीर आनुवंशिक डिसआर्डर है, इसमें बच्चे में बचपन से ही ब्लड बनना बंद हो जाता है,इससे पीड़ित को हर 3 से 6 महीने में ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ब्लड न चढ़ने पर बच्चे की मौत तक हो सकती है।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.मुकेश चौधरी ने बताया कि यदि माता या पिता दोनों ही सिंगल जीन माइनर रहें तो उन्हें ये बीमारी नहीं होती है। इसे बीटा थैलेसीमिया कहा जाता है। मगर माता-पिता दोनों के माइनर जीन ही बच्चे में आ जाये तो ये कंडीशन थैलेसीमिया मेजर की होती है। इसी में ब्लड बनना बंद हो जाता है। जन्म के 6 महीने में पता चल जाता है कि बच्चे की बॉडी में हीमोग्लोबिन नहीं बन पा रहा है। मेजर थैलेसीमिया मरीजों को कम उम्र में डायग्नोसिस किया जाता है, उन्हें आजीवन ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है।

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इस वजह से उनके जीवन जीने की उम्र कम हो जाती है। जबकि माइनर थैलेसीमिया मरीजों मे केवल एनीमिक स्थिति नज़र आती है। रोटरी क्लब अध्यक्ष डॉ.पवन ओझा ने बताया कि थैलेसीमिया की जल्दी पहचान एवं निदान के लिए टेस्टिंग पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना अतिआवश्यक है।’ भारत को दुनिया में  “थैलेसीमिया की राजधानी” कहा जाता है क्योंकि यहाँ विश्व में थैलेसीमिया के सर्वाधिक मरीज हैं ।भारत में प्रतिवर्ष थैलेसीमिया से ग्रस्त 10,000 बच्चे जन्म लेते  हैं, जिनमें इस बीमारी की पहचान उनके जन्म से 3 महीने बाद संभव हो पाती है ।

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थैलेसीमिया खून से जुड़ी एक बीमारी है, जो माता-पिता से उनके बच्चों तक पहुंचती है। उन्होंने हीमोफिलिया और रक्तदान संबंधित विषय पर भी विशेष जानकारी प्रदान की।ब्लड बैंक प्रभारी कनिष्ठ विशेषज्ञ डॉ.अभिषेक चौधरी ने बताया कि मेजर थैलेसीमिया को होने से रोका जा सकता है बशर्ते कि पैरेंट्स बनने से पहले दंपत्ति डॉक्टर से सलाह लें और अपनी जांच करवाएं जबकि हीमोफ़िलिया एक आनुवंशिक रक्तस्राव विकार है जो दो रक्त क्लॉटिंग फैक्टर्स: फैक्टर 8 या फैक्टर 9 में से एक में कमी के कारण होता है। जोधपुर से आये क्षेत्रीय अधिकारी ब्लड सेल अर्जुन काग ने बताया कि आज भी इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच कई तरह के मिथक मौजूद हैं। ऐसे में लोगों तक इस बीमारी की सही जानकारी पहुंचाने और इसके प्रति दुनियाभर में जागरुकता फैलाने के मकसद से रोटरी क्लब सहित संस्थाओं द्वारा समय समय पर इस प्रकार की कार्यशालाएं और जागरूकता रैली और रक्तदान कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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मारवाड़ी युवा मंच के श्रीकान्त भूतड़ा, राजू चौधरी, रोटरी अध्यक्ष डॉ.पवन ओझा, जालोर ब्लड डोनर ग्रुप से नितेश भटनागर, एडवोकेट तरुण सिद्धावत्,यशवंत मेवाड़ा, देवेंद्र शर्मा, रक्त सेवादल सायला से नवनीत दवे, यूथ फ़ॉर नेशन संस्था जालोर से पी बी सेन, डॉ.सुरेंद्र चौधरी, खिंवसिंह,मलकीत सिंह तरुण त्रिवेदी, खुश्बू सोनी असलम खान, सुरेश सोनी सहित विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान डॉ.राजकुमार,डॉ.प्रताप आँजना,बाबूलाल चौधरी,सहायक प्रशासनिक अधिकारी रमेश गहलोत,हडमताराम गर्ग, लक्ष्मण भादरू,राजेश,भरत,कृष्णा,सुरेश, मुकेश,जावेद खान,दीपक कुमार,रमेश चितारा, पुरुषोत्तम गर्ग, भूपेन्द्र कुमार, लक्ष्मी दवे सहित आमजन काफी संख्या में कार्यक्रम में उपस्थित रहें।

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