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VIP कल्चर और किसान के मुकाबले को उद्यमी बना सकता है रोचक!

  • लोकसभा चुनाव

दिलीप डूडी, जालोर. लोकसभा चुनाव के जैसे जैसे दिन नजदीक आ रहे है, वैसे ही रोचकता बढ़ती जा रही है। खासकर वीआईपी और किसान उम्मीदवार के बीच उद्यमी की एंट्री ने इसे और रोचक बना दिया है। जहां बीजेपी ने सिरोही से पुराने कार्यकर्ता किसान को मौका दिया है, वहीं कांग्रेस ने वीआईपी कल्चर के वैभव गहलोत को जोधपुर से जालोर भेजा है। कांग्रेस की इस गलती से नाराज कांग्रेस नेता ग्रेनाइट उद्यमी लालसिंह राठौड़ ने बसपा से ताल ठोक दी। इससे आपसी मुकाबले को त्रिकोणीय रूप मिल सकता है। साथ ही हर उम्मीदवार का कल्चर व कार्यशैली भी वोटर्स को प्रभावित कर सकती है।

आइए जानते है तीनों पार्टियों के उम्मीदवारों की कार्यशैली
कार्यकर्ताओं पर कम्पनी की गाइडलाइन भारी

कांग्रेस के उम्मीदवार वैभव गहलोत की कार्यशैली वीआईपी कल्चर की है। वैभव एक कम्पनी की ओर से बनाई गई गाइडलाइन पर ही अपना प्रचार कर रहे है। कम्पनी भी वही जिसके सहारे 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान में पुनः सत्ता हासिल करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए। उम्मीदवार बनाने के बाद भले ही कुछ कार्यकर्ता वैभव के साथ घूम रहे हो, लेकिन कम्पनी की गाइडलाइन व तैयार शेडयूल के अलावा वैभव कदम भी नहीं भरते। सूत्रों के जरिये जानकारी में आया है कि पिछले दिनों रानीवाड़ा से सांचौर जाते समय पूर्व मंत्री सुखराम विश्नोई भी वैभव गहलोत के साथ थे। सुखराम ने रास्ते में वैभव से कहा कि एक कार्यकर्ता के घर में किसी सदस्य का निधन हो रखा है, वहां हमें व्यवहारिकता के नाते बैठने जाना चाहिए, लेकिन वैभव ने अपने शिड्यूल में शामिल नहीं का कहते हुए इसे टाल दिया। इस व्यवहार से दबी जुबान में कार्यकर्ता भी निराश दिखे। कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे वीआईपी कल्चर के जरिए मुकाबला कैसे पार पड़ पाएगा।

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मंदिरों में दर्शन के सहारे जीत की जुगत

यूं तो भाजपा के उम्मीदवार लुम्बाराम चौधरी किसान कल्चर के व्यक्ति है, लेकिन प्रत्याशी घोषणा के बाद मंदिर मंदिर घूमकर जीतने की जुगत में लगे हुए हैं। हालांकि संसदीय क्षेत्र का स्थानीय उम्मीदवार होने के कारण उन्हें ज्यादा दौड़ भाग की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। साथ ही सरल व्यवहार व साधारण व्यक्तित्व होने के कारण आम व्यक्ति की पहुंच उन तक आसानी से बन रही है, लेकिन चुनाव के समय में आशानुरूप लुम्बाराम चौधरी भी अपना सम्पर्क अभी तक नहीं बना पाए है।

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बाहरी के विरोध के सहारे नैया पार करने की मंशा

बसपा के उम्मीदवार लालसिंह राठौड़ मूल रूप से ग्रेनाइट उद्यमी है, लेकिन चुनावों के समय में राजनीति इन्हें भी पसंद आती है। जालोर क्षेत्र से स्थानीय होने के कारण ये भी बाहरी का विरोध करते हुए मैदान में बाजी मारने की कोशिश में है, लेकिन केवल बसपा का साथ मिलने से ही काम आसान हो जाएगा ऐसा भी नहीं है। इसके लिए इन्हें सर्वसमाज और पूरे क्षेत्र तक अपनी पहुंच कायम करने की आवश्यकता जताई जा रही है।

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