- कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी योजना, नई भाजपा सरकार में एक भी मजदूर को नहीं मिला पैसा
दिलीप डूडी, जालोर. राजस्थान के शहरी क्षेत्रों में चलाई जा रही इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारण्टी योजना पर संकट के बादल छा गए हैं। प्रदेश में नई बनी सरकार ने श्रमिकों को मजदूरी नहीं दी है। पिछले करीब तीन महीनों से मजदूर पैसों को तरस रहे हैं। जालोर जिला मुख्यालय पर करीब चार सौ श्रमिक इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में काम पर लगे हुए है, लेकिन तीन महीनों से पैसा नहीं मिला है। श्रमिकों का कहना है नगरपरिषद में जाते है तो इसके लिए ढंग से जवाब भी नहीं मिलता। इतना ही नहीं हर पंद्रह दिन में मेट भी बदल दिए जाते है। जालोर शहर में करीब दस स्थानों पर इस योजना के तहत काम चल रहा है।
कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी योजना
मनरेगा की तर्ज पर राजस्थान के नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों को आसान कार्य उपलब्ध करवाने के लिए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू की थी। जिसमें परिवार को प्रतिवर्ष सौ दिन का रोजगार दिया जाना तय किया गया। यह योजना 9 सितंबर 2022 को राजस्थान सरकार ने लागू की थी। तब से प्रदेश की सभी निकाय क्षेत्रों में कच्चे कार्यों के लिए श्रमिक लगाए जा रहे है, लेकिन जैसे ही सरकार बदली तो श्रमिकों को पैसा मिलना बंद हो गया।
इस योजना में अधिकांश महिला श्रमिक
शहरों में इस योजना के तहत अधिकांश महिला श्रमिक कार्य करती है। दिनभर काम करने के बाद परिवार का ख्याल रखने की दोहरी जिम्मेदारी निभाने वाली महिला श्रमिकों को वेतन नहीं मिलने से निराश है। महिला श्रमिक कंचन कुमारी ने बताया कि दीपावली के समय एक बार मजदूरी मिली थी, उसके बाद पैसा मिला ही नहीं है। करीब तीन महीने बीतने को आये है। यही हालत अन्य श्रमिकों के भी है।
इनका कहना है…
हमारे यहां बजट नहीं आया है, इस कारण इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के श्रमिकों को मजदूरी नहीं दी गई है। जालोर ही नहीं पूरे राजस्थान में इनका पैसा बाकी है। बजट आते ही श्रमिकों को मेहनताना दे दिया जाएगा।
- गोविंद टांक, सभापति, नगरपरिषद जालोर