जालोर. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की पहल की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी संवैधानिक ठहराया है। ये पहल तो अच्छी थी परन्तु ईडब्ल्यूएस में शामिल होने को लेकर जोड़ी गईं जटिल शर्तों से, इसका फायदा बहुत कम लोगों तक पहुंच पा रहा है। अब ईडब्ल्यूएस संघर्ष समिति ने राजस्थान मॉडल लागू करने की केंद्र सरकार से मांग की है।
मंगलवार को जालोर जिला मुख्यालय पर बैनर तले कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ ने प्रेस वार्ता की। इसमें बताया कि ईडब्ल्यूएस की प्रमुख शर्त है कि 5 एकड़ कृषि भूमि और एक निश्चित क्षेत्रफल से अधिक का मकान होने पर आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही, अन्य वर्गों की तरह परीक्षार्थियों को आयु सीमा में कोई छूट नहीं दी गई है। जिससे बड़ी संख्या में परीक्षार्थी इस लाभ के दायरे से बाहर हो रहे हैं, इसलिए केन्द्र सरकार द्वारा भी राजस्थान मॉडल लागू करना चाहिए।
राजस्थान में ईडब्ल्यूएस आरक्षण की शर्तों में छूट देते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले अचल संपत्ति की शर्त हटाई एवं बाद में परीक्षार्थियों को आयु सीमा और परीक्षा शुल्क में भी अन्य आरक्षित वर्गों की तरह लाभ देना शुरू किया गया. इससे राजस्थान में बड़ी संख्या में ईडब्ल्यूएस वर्ग में लाभार्थी शामिल हुए और उन्हें लाभ मिल सका। गौरतलब है कि 1998 से 2003 के कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आर्थिक रूप से पिछड़ी सवर्ण जातियों के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव विधानसभा से पास कर केन्द्र सरकार को भेजकर सबसे पहले ईडब्ल्यूएस आरक्षण की पहल की थी।
राजस्थान जैसे विशाल क्षेत्रफल वाले राज्य में 5 एकड़ कृषि की शर्त उचित प्रतीत नहीं होती है।केन्द्र सरकार के तमाम आयोगों की रिपोर्ट बता चुकी हैं कि राजस्थान जैसे राज्यों में 5-10 एकड़ कृषि भूमि वाले लघु एवं सीमान्त किसानों की आय प्रतिवर्ष 1 लाख रुपये से भी कम होती है। जहां उपजाऊ जमीन नहीं है वहां तो ये और भी कम होती है। यहां पुश्तैनी घरों का आकार भी बड़ा होता ही है। ऐसे में उन्हें ईडब्ल्यूएस आरक्षण से बाहर करना उचित प्रतीत नहीं होता है। यही कारण है कि केंद्रीय भर्तियों समेत तमाम बड़ी परीक्षाओं में ईडब्ल्यूएस वर्ग के अभ्यर्थियों की संख्या एससी एसटी और ओबीसी कैटिगिरी से तीन गुना तक कम है।
आर्थिक पिछड़ा वर्ग भाजपा के पक्ष में अपेक्षाकृत ज्यादा रहा है इसके बावजूद भाजपा की सरकार द्वारा आर्थिक पिछड़ा वर्ग के साथ इस तरह का दोहरा बर्ताव उचित नहीं है। भाजपा इस वर्ग को वोट बैंक समझने की बजाय, उनकी उचित मांगों को पूरी करने का कार्य करे। इस दौरान भीनमाल विधायक डॉ समरजीतसिंह, नैनसिंह राजपुरोहित, लालसिंह धानपुर, तरुण सोलंकी, सुरेंद्र दवे, मोहनसिंह, लोकेन्द्रसिंह आदि उपस्थित थे।