- बीस साल से जालोर लोकसभा सीट पर हार रही है कांग्रेस
दिलीप डूडी, जालोर. पांच साल बाद एक बार फिर से जालोर लोकसभा सीट पर कांग्रेस से वैभव गहलोत के नाम के प्रयास शुरू हो गए हैं। इस बार यह प्रयास पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सिपहसालार रहे कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ कर रहे है। धर्मेंद्र राठौड़ इसके लिए जालोर-सिरोही के प्रमुख घरानों से भी मुलाकात कर माहौल तैयार करने व स्थिति भांपने में जुटे हैं। पिछले तीन दिनों में धर्मेंद्र राठौड़ ने जालोर के कांग्रेस से जुड़े घरानों के अलावा, भाजपा विचारधारा के लोगों से भी गोपनीय जानकारी जुटाई है, लेकिन यहां सर्वे में गए नामों ने पार्टी को चौंका दिया है। इस कारण असमंजस की स्थिति पैदा हो चुकी है।
पिछली बार डर गए, इस बार फिर प्रयास
जालोर लोकसभा सीट पर वर्ष 2004 के चुनाव के बाद से यहां भाजपा जीत रही है। यहां परिसीमन में सामान्य सीट होने के बाद से देवजी पटेल लगातार तीन बार जीते हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को जालोर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ाने के प्रयास किये गए, लेकिन डर सता रहा था कि कहीं हार न जाए, अंत में जोधपुर लोकसभा सीट पर वैभव गहलोत को उम्मीदवार बनाया गया।
पिछली बार के उम्मीदवार रतन देवासी इस बार रानीवाड़ा से विधायक बन गए और लोकसभा से चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है। इस कारण अब पांच साल बाद फिर से इस बार वैभव गहलोत को जोधपुर के बजाय जालोर से चुनाव लड़ाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन सर्वे में वैभव के पक्ष में समीकरण नहीं बन पा रहे हैं।
दो नाम सर्वे में चौंकाने वाले
राठौड़ के अलावा यहां कांग्रेस व एजेंसियों की ओर से सर्वे भी किये गए। जिसमें रुझान व फीडबैक में सामने आया कि श्री राम मंदिर प्रतिष्ठा की ऐसी लहर है कि यहां कमजोर चेहरा कांग्रेस को जीत नहीं दिला पायेगा। स्थानीय स्तर से दावेदार के रूप में तो लालसिंह राठौड़ व सिरोही के पूर्व विधायक संयम लोढ़ा के समेत नाम सर्वे में गए हुए है, लेकिन लोगों ने अपने फीडबैक में यह भी बताया कि वैभव गहलोत के बजाय यहां पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को स्वयं मैदान में उतरना चाहिए, अगर अशोक गहलोत चुनाव मैदान में उतरते है तो जालोर लोकसभा सीट कांग्रेस जीतने की संभावना बन सकती है। इनके अलावा पोषाणा के गजेन्द्रसिंह बालावत का नाम भी सर्वे में सामने आया है, जिसमें बताया कि स्थानीय राजपूत चेहरा है और निर्विवाद है, पुराने समय से कांग्रेस से जुड़े हुए है। गजेन्द्रसिंह के पिता शैतानसिंह बालावत प्रधान व सरपंच रह चुके हैं। मारवाड़ के घरानों में अच्छी पकड़ बताई जा रही है। इन दोनों नामों ने पार्टी को असमंजस में डाल दिया है।
वैभव गहलोत का नहीं बना आकर्षण
पांच साल पहले दावेदार के रूप में वैभव गहलोत का नाम चला था, उसके बाद वो जोधपुर से चुनाव लड़े और हार गए। राजस्थान में सरकार कांग्रेस की थी, लेकिन वैभव ने जालोर लोकसभा सीट पर अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश नहीं की और न ही इस क्षेत्र से अपनी मजबूत टीम बना पाए, इस कारण उनका आकर्षण जनता में नहीं बन रहा। इस कारण पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा होने के बाद भी जीत की गारंटी नहीं ली जा रही है। उधर, जोधपुर से सांसद गजेन्द्रसिंह शेखावत के विरुद्ध गुटबाजी चल रही है। सूत्रों के मुताबिक अशोक गहलोत स्वयं जोधपुर से चुनाव लड़ना चाहते है, जोधपुर को खुद के लिए सुरक्षित सीट मान रहे है, ऐसे में स्वयं अशोक गहलोत जालोर सीट पर आने के इच्छुक नहीं बताए जा रहे है, लेकिन जो फीडबैक गया है उसमें स्पष्ट कहा गया है कि मजबूत चेहरे के रूप में बेटे के बजाय पिता ही होंगे।
राजनीति करियर शिफ्ट करने का ख़ौफ़
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री का बेटा होने के बावजूद वैभव गहलोत खुद को पार्टी में स्थापित नहीं कर पाए हैं। अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक गहलोत समर्थक नेता चाहते है कि वैभव गहलोत के राजनीति करियर को मजबूत करने का केवल अभी मौका है। क्योंकि स्वयं अशोक गहलोत सत्ता खो चुके है, विरोध नेताओं का दौर आया तो वैभव को जमीन मजबूत करने का मौका भी नहीं मिल पाएगा, इस ख़ौफ़ के चलते एक स्थान वैभव गहलोत के लिए तैयार करना चाह रहे है। जोधपुर से वैभव पिछली बार जीत नहीं पाए और इस बार भी डर सता रहा है।
सम्भाग में कांग्रेस एक राजपूत को देगी टिकट
जोधपुर (पुराना दायरा) सम्भाग में चार सीटों में से कांग्रेस एक सीट पर राजपूत समाज के बन्धु को टिकट देती है, इस बार भी यही प्रयास रहेगा। पिछली बार कांग्रेस ने बाड़मेर से मानवेन्द्र सिंह को टिकट दिया था, हालांकि वे हार गए थे। इस बार मानवेन्द्र सिंह दुर्घटना के चलते घायल है। जिस कारण चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं बताए जा रहे है। ऐसे में इस बार जालोर या पाली सीट पर अधिक संभावना राजपूत उम्मीदवार की बनी हुई है। देखना होगा कि पार्टी सर्वे को ज्यादा महत्व देती है या फिर कोई अन्य तरीका अपनाती है।