- शहर के ऊपर कोटा सैय्यदों के मोहल्ले का मामला
- सालभर पहले बने पट्टे की अब कलेक्टर की शिकायत
दिलीप डूडी, जालोर. नगर परिषद में आंख मूंदकर किस प्रकार से काम किया जाता है, इसकी बानगी सामने आई है। यहां सालभर पहले नगरपरिषद ने एक ऐसे भूखंड का पट्टा बना दिया है, जिसका न्यायालय ने कुर्क के आदेश दिए हुए थे। अब दूसरे पक्ष ने जिला कलेक्टर को शिकायत की तो अधिकारियों की आंख खुली।
आइए जानते है पूरा मामला
दरअसल, शहर के ऊपर कोटा सैयदों के मोहल्ले में एक आराजी भूखंड है। जिसे स्थानीय निवासी आमिर अली ने पिता की पुश्तैनी जमीन बताते हुए वर्ष 1991-1992 में तत्कालीन नगरपालिका में एक पत्रावली पेश की थी। जिसके बाद आमिर अली व मोहल्ले के अन्य लोगों के विरुद्ध विवाद पैदा हो गया। जिसे देखते हुए उस समय उप जिला मजिस्ट्रेट जालोर न्यायालय ने 31 जुलाई 1991 को विवादित भूमि धारा 145 सीआरपीसी के तहत कुर्क रहने के आदेश पारित किए थे। उसके बाद सैशन न्यायालय जालोर में निगरानी पेश की गई, जिसे भी खारिज कर न्यायालय ने 31 जुलाई के आदेश को यथावत रखा। उसके बाद आमिर अली, उसके भाई आबिद अली, अख्तर अली व इकबाल अली ने अपने स्वामित्व को सिद्द करने के लिए फ़ास्ट ट्रेक में सिविल सूट पेश किया। उसकी अपील में उच्च न्यायालय जोधपुर में आबिद अली बनाम जालोर नगरपरिषद एक याचिका भी लगी है, जिसमें नगरपरिषद पक्षकार भी है। इतना होने के बावजूद नगरपरिषद जालोर ने कुर्क शुदा इस भूखंड का सैय्यद समाज जरिए अध्यक्ष लियाकत अली को नगरपालिका अधिनियम 69 ए के तहत 22 फरवरी 2023 को 418/2022-23 क्रमांक से पट्टा जारी कर दिया। इतना ही नहीं 15 मार्च 2023 को इसका पंजीयन भी करवा लिया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि पट्टा में जिसे अध्यक्ष बताया गया है, वो स्वयं इन प्रकरणों में पक्षकार है।
अब कलेक्टर के पास पहुंची शिकायत
पट्टा बनने के करीब एक साल बाद अब पुश्तैनी जमीन का हक जताने वाले पक्षकार की ओर से जिला कलेक्टर को शिकायत दी गई है। अख्तर अली पुत्र आमिर अली सैय्यद ने शिकायत में बताया कि आज भी उस भूखंड पर न्यायालय के कुर्क के आदेश है। उसने आशंका जताई है कि जिस प्रकार से पट्टा जारी किया गया है, उसी की आड़ में वहां निर्माण भी किया जा सकता है। इस मामले में उचित कार्रवाई की मांग की है।
आधे अधूरे हस्ताक्षर कर जारी किया पट्टा
इस भूखंड पर प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान पट्टा जारी किया गया है। आनन फानन में निपटाई इस प्रक्रिया में अधूरापन दिखा है। पट्टे पर सभापति के हस्ताक्षर तो है, लेकिन आयुक्त के अधूरे हस्ताक्षर है। कुछ आवश्यक जगह पर आयुक्त के हस्ताक्षर भी नहीं है। आपको बता दें कि पिछले कई सालों से जालोर नगरपरिषद में कार्यवाहक आयुक्त ही रखे गए, नियमित आयुक्त की नियुक्ति ही नहीं की गई। अब देखना यह है कि शिक़ायत को जिला कलेक्टर कितना गम्भीरता से लेते हैं।