- विधानसभा चुनाव के बाद परिणामों को देखते हुए भाजपा में उम्मीदवार बदलाव की सुगबुगाहट तेज
दिलीप डूडी, जालोर. लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ गया है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने तो धरातल स्थल पर कार्य शुरू भी कर दिया है। कई स्थानीय सर्वे व पार्टी स्तर से फीडबैक भी लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस बार पार्टी ऐसे चेहरे पर दांव लगाना चाहती है, जो निर्विवाद हो और सरकार में अपने अनुभव की सहभागिता दे सके। हालांकि सांसद का चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं ने अपने अपने स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए है, लेकिन पार्टी की मंशा को देखते हुए इस बदलाव में प्रबल दावेदारों में आरडी चौधरी का नाम मजबूत बताया जा रहा है। इसके पीछे कई कारण भी शामिल है।
आइए जानते है मजबूती के कारण
जालोर लोकसभा सीट पर पिछले बीस साल से लगातार भाजपा जीत रही है। साथ ही तीन बार से लगातार देवजी एम पटेल सांसद बने है। इस बार सांसद देवजी पटेल को सांचौर विधानसभा सीट पर पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था, विधानसभा चुनाव में भाजपा के पूर्व विधायक व कुछ नेताओं ने बगावत कर निर्दलीय ताल ठोक दी, जिस कारण भाजपा सांचौर सीट जीत नहीं पाई। वहां निर्दलीय उम्मीदवार जीत गए। उसके बाद के माहौल को भाजपा ने गम्भीरता से लेना शुरू कर दिया है। पार्टी में चर्चा यह भी है कि अगर सांसद सीट पर टिकट में बदलाव की गुंजाइश है तो फिर किसी ऐसे चेहरे की तलाश पूरी करनी होगी, जो पार्टी की गाइडलाइन पर खरा उतरता हो। इस लिहाज से पार्टी स्तर से प्रयास भी शुरू हो गए है। सूत्र बता रहे है कि पार्टी उम्मीदवार को बदल सकती है, लेकिन जातीय समीकरण में छेड़छाड़ करने में कम इच्छुक है, क्योंकि इससे विपक्षी पार्टी को सम्बल मिल सकने की आशंका रहेगी। ऐसे में निर्विवाद और संगठन से जुड़े पुराने नेता व अनुभवी की आवश्यकता जताई जा रही है। इस फॉर्मूले में जनसंघ के समय से भाजपा से जुड़े सीए आरडी चौधरी (रामचन्द्र दल्लाराम चौधरी) खरे उतर रहे है। लिहाज आरडी चौधरी ने भी पार्टी के उच्च स्तर पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।
पार्टी में संघर्ष के साथी रहे है चौधरी
हालांकि भाजपा में सांसद चुनाव के लिए इस बार कई अन्य नए चेहरे भी प्रयास कर रहे है, लेकिन आरडी चौधरी का जुड़ाव पुराना है। बताया जा रहा है कि 61 वर्षीय आरडी चौधरी सिकवाड़ा के रहने वाले है और अहमदाबाद, मम्बई, दिल्ली व भीनमाल में चार्टर्ड अकाउंटेंट का कामकाज करते है। इन्होंने जनसंघ के समय से भाजपा के तत्कालीन जिला अध्यक्ष चंपालाल मुणोत के समय से पार्टी में काम किया है। ये भाजपा सीए प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य रहे हुए है। 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के साथ बतौर चुनाव प्रचार प्रभारी कार्य कर चुके है। इनकी पत्नी भी पार्टी से भीनमाल क्षेत्र में पंचायत समिति व जिला परिषद के चुनाव लड़ चुकी है। साथ आरडी चौधरी कई सामाजिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी रहे हैं।
चार सीट खोने के चलते सम्भलकर करेगी निर्णय
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भाजपा सीधी टक्कर में सांचौर सीट हार गई थी। जबकि संसदीय क्षेत्र की शेष सातों सीट जीती थी, उसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने दो सीट खो दी और 6 जीत पाई। वर्ष 2023 के चुनाव में संसदीय क्षेत्र की आठ में से भाजपा केवल चार सीट ही जीत पाई। इसे देखते हुए भाजपा लोकसभा चुनाव में ज्यादा रिस्क लेने के मूड में नहीं बताई जा रही है। ऐसे में उम्मीदवार बदलाव की मंशा पर मजबूत विकल्प की तलाश की जा रही है। जिसमें आरडी चौधरी जैसे नेताओं की किस्मत खुल सकती है।