हालांकि, कुछ कहानियां पचाने में भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं, लेकिन लचीलापन और मानवता का व्यापक विषय प्रबल है। पूरे संकलन में लेखन विचारोत्तेजक और गहन है। गंभीरता और रोचकता का एक साथ अद्भुत निर्वाह कहानियों के बीच एक सहज परिवर्तन की अनुमति देता है, जिससे पाठक का जुड़ाव शुरू से अंत तक बना रहता है। इस संकलन के जरिए पाठक सुकेश साहनी, कमलेश भारतीय, राम मूरत ‘राही’, कांता रॉय, राजेंद्र वर्मा, मनोरमा पंत, अरविंद असर, डॉ. पूनम आनंद, मीरा जैन, ज्ञानदेव मुकेश, नीना मंदिलवार, रमाकांत चौधरी, डॉ. रामकुमार घोटड़ जैसे लघुकथाकारों की रचनाओं का आस्वादन ले सकते हैं। अंततः ‘गुलाबी गलियां’ एक प्रशंसनीय संकलन है, जो अक्सर अंधेरे में रखे गए किरदारों की साहसिक खोज के लिए ध्यान देने योग्य है। सशक्त विचार और सार्थक कहन के माध्यम से यह संकलन एक ऐसे समुदाय का मानवीकरण करने में सफल होता है, जिसे अक्सर अमानवीय बना दिया जाता है। कुशल संपादन के लिए संपादक बधाई के पात्र हैं।
गुलाबी गलियां (साझा लघुकथा संग्रह)
संपादक : सुरेश सौरभ
मूल्य : ₹249
प्रकाशन : श्वेतवर्णा, नई दिल्ली