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कौन है वो भोपाजी! जिसने बता दिया था कि मंदिर के पास मिलेगा बालक भगवतसिंह, लेकिन जीवन में अंधेरा छा गया !

– मूडी के बालक भगवतसिंह मृत्यु प्रकरण
– पुलिस आत्महत्या मानकर अनुसंधान में बरत रही शिथिलता
– मामला पुराने विवाद से जुड़ा होने की भी आशंका
दिलीप डूडी, जालोर.
जालोर जिले के बिशनगढ़ थाना क्षेत्र के मूडी गांव में 17 नवम्बर 2023 को सुबह करीब साढ़े दस बजे गायब हुए पांच वर्षीय बालक भगवतसिंह राजपुरोहित उसी दिन देर शाम को गांव के एक मंदिर परिसर में बनी बेरी में मृत अवस्था में मिला था। पुलिस ने प्रारंभिक रूप से इसे आत्महत्या मान लिया, लेकिन परिजन इसे हत्या मानते हुए पुलिस से फरियाद कर रहे है कि उचित जांच की जाय। इस मामले में 15 दिसम्बर को परिजनों ने फिर से जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर उचित जांच की मांग की है, जिस पर मामले की जांच अब बिशनगढ़ थानाधिकारी से बदलकर जालोर कोतवाल को सौंपी गई है। परिजनों की ओर से जो तथ्य बताए जा रहे है, वो बेहद चौंकाने वाले है, लेकिन पुलिस ने उनको अभी तक टटोला नहीं है। परिजनों का मानना है कि उन तथ्यों के आधार पर ठोस पूछताछ की जाए तो सुराग मिल सकता है।
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आइए जानते है क्या हुई थी घटना
दरअसल, मूडी गांव में सूरजमल राजपुरोहित के भाई का निधन हो गया था। उनके बारहवें का दिन था। सूरजमल का एक बेटा विक्रमसिंह जो बड़गांव रहता है, वो परिवार सहित यहां आया हुआ था। विक्रमसिंह का पांच वर्षीय बेटा भगवतसिंह 17 नवम्बर सुबह करीब साढ़े दस बजे अचानक गायब हो जाता है, कुछ ही देर बाद उसकी तलाश शुरू की जाती है, लेकिन कहीं नहीं मिलता है। देर शाम को तलाश के दौरान गांव से कुछ दूरी पर स्थित एक मंदिर परिसर में बनी बेरी में वह बालक की मृत अवस्था में पड़ा मिलता है। गांव में सनसनी फैल जाती है, पुलिस मौके पर पहुंचकर शव कब्जे में लेती है और बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाकर आत्महत्या दर्ज कर लेती है। परिजन उसी दिन से इस मामले में संदेह जाहिर कर रहे है, अब उचित जांच नहीं होने पर धरने की चेतावनी दी है।
सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति को कैसे पता चला कि बच्चा मंदिर के पास मिलेगा
इस घटनाक्रम पर डीडीटी न्यूज से बात करते हुए बालक भगवतसिंह के ताऊ हनुमानसिंह राजपुरोहित ने बताया कि सुबह बच्चा गायब हुआ तो जानकारी मिलते ही तलाश शुरू कर दी थी। दिन में गांव के घरों आसपास क्षेत्र सब जगह ढूंढा था। दिन में मंदिर की बेरी को भी देखा तो उसमें कुछ नहीं था, लेकिन ढूंढते ढूंढते शाम हो गई थी। सब लोग थक चुके थे। हनुमानसिंह ने बताया कि इसी दौरान उनके रिश्तेदार के वहां काम करने वाली एक महिला ने उन्हें बताया कि एक भोपाजी है, उनसे मोबाइल पर बात करो तो कुछ दिशा बता सकते है। इस पर उक्त महिला ने एक व्यक्ति को भोपाजी के नाम से बोलते हुए मोबाइल पर कॉल किया और भगवतसिंह के पिता विक्रमसिंह से बात कराई।
इस पर उस भोपाजी ने बालक के पिता को फोन पर बताया कि बालक भगवतसिंह मंदिर के आसपास मिलेगा, लेकिन जीवन में अंधेरा छा गया है। ऐसा सुनते ही लोग वापस मंदिर की तरफ तलाश करने चले गए, अंधेरा हो चुका था। बेरी में रोशनी करके देखा तो बच्चा उसमें मृत पड़ा था, बाहर निकालकर देखा उसके सिर पर व हाथ पर गम्भीर चोटें थी। हनुमानसिंह ने बताया कि विक्रमसिंह का परिवार गांव में नहीं रहता है, उस मासूम बच्चे को मंदिर का भी पता नहीं था फिर वो कैसे सुसाइड कर सकता है, लेकिन पुलिस उनके बताए सुराग को भी नहीं टटोल रही है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि वो भोपाजी कौन है जिसने दूर बैठे मंदिर की दिशा बता दी, उनसे भी पुलिस को पूछताछ करनी चाहिए। इसके अलावा परिवार में एक पुराना जमीनी हल्का विवाद भी सामने आया है, उस एंगल पर भी जांच आवश्यक है।

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