जालोर.
राजस्थान में कांग्रेस के लिए चालीस सीटें ऐसी है, जो पिछले लंबे समय से हाथ से फिसल रही है, इन सीटों पर गहन मंथन भी किया गया। इनमें जालोर जिला मुख्यालय की सीट एससी आरक्षित जालोर विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है। यहां वर्ष 2018 में रामलाल मेघवाल की टिकट काटने के बाद पूर्व जिला प्रमुख मंजू मेघवाल को मौका दिया गया था, यह पहला मौका था जब किसी महिला को जालोर सीट पर कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया। हालांकि इस चुनाव में मंजू मेघवाल भारी मतों से हार गई थी, इसके बावजूद मंजू मेघवाल की कोशिश थी कि 2023 के चुनाव तक परिस्थितियों को पक्ष में कर लेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। मंजू मेघवाल पांच वर्षों में न केवल संगठन स्तर पर कमजोर साबित हुई बल्कि अनुशासनहीनता का भी आरोप लगा। इस लिहाज को देखते हुए पूर्व प्रधान व जिला परिषद सदस्य रमिला मेघवाल से टिकट पाने में मंजू मेघवाल पिछड़ गई।
लोकसभा चुनावों में पाराशर के विरुद्ध लिखा था पत्र
बीते विधानसभा चुनावों में मंजू मेघवाल को पार्टी ने पहली बार टिकट दिया, जोगेश्वर गर्ग के सामने 35 हजार मतों से हार हुई। उसके बाद लोकसभा चुनावों को लेकर जालोर के राजीव गांधी भवन में कांग्रेस बड़े पदाधिकारियों की बैठक में मंजू मेघवाल ने एक पत्र लिखकर पुखराज पाराशर के विरुद्ध गम्भीर आरोप लगाते हुए शिकायत की थी, वो पत्र लीक होने से समाचार पत्रों की सुर्खियां बना था। उसके बाद एक बार राजीव गांधी भवन में कांग्रेस के कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को चमचागिरी की संज्ञा दे दी थी। इसके अलावा हाल ही में सर्किट हाउस में एक वीडियो वायरल हुआ उसमें में संगठन ने नाराजगी जताई। इस प्रकार की अनुशासनहीनता करना मंजू मेघवाल के लिए दुबारा प्रत्याशी बनने में रोड़ा साबित हुई।
राजनीतिक दांवपेच में भी कमजोर साबित हुई
2018 में प्रत्याशी बनाने के बाद मंजू मेघवाल के वरिष्ठ कांग्रेसी रामलाल मेघवाल के साथ मधुर सम्बन्ध नहीं रहे, इस कारण वो विवादों में रही और कार्यकर्ताओं में मजबूत पकड़ नहीं बना पाई। इतना ही नहीं राजनीतिक दांव पेच में भी कमजोर साबित हुई। मंजू की देखरेख में निकाय चुनावों में शहर में बड़ी हार झेलनी पड़ी। इसके बाद पंचायत राज चुनावों में भी दोनों पंचायत समितियों में कांग्रेस प्रधान नहीं बना पाई। जिस कारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता गया। कार्यकर्ताओं में एकजुटता की कमी के कारण आपसी बिखराव हो गया। इस कारण सर्वे में मंजू मेघवाल का नाम पिछड़ गया।
2013 के बाद से ही दौड़ से बाहर हो गए थे रामलाल
रामलाल मेघवाल ने जालोर विधानसभा सीट पर कई चुनाव लड़े। 2008 में जनता ने उन्हें जिताया। 2013 में मोदी लहर में वे भाजपा की अमृता मेघवाल से करीब 45 हजार मतों से हार गए। उसके बाद उनकी सेहत भी ठीक नहीं रहने लगी। तब से ही वे टिकट की दौड़ से बाहर हो गए। रामलाल को 2018 में मौका नहीं दिया गया उसके बावजूद रामलाल मेघवाल इस बार भी मजबूत दावेदारी की, सर्वे में भी इनका नाम टॉप पर चला, लेकिन पार्टी ने इनकी सेहत व उम्र को देखते हुए रमिला मेघवाल को मौका देना उचित समझा। अब देखना है कि जनता क्या परिणाम देती है।