- रघुनाथराम के कारण 33 साल दूसरी जीत का इंतजार करते रहे मेहता
दिलीप डूडी, जालोर. विधानसभा चुनाव 2023 का दौर जारी है, इस बीच राजनीति से जुड़े रोचक तथ्य हम आपके बीच हर दिन लेकर आ रहे हैं, इस बार सांचौर विधानसभा क्षेत्र के वर्ष 1952 से लेकर 2023 तक के सफर के बारे में बताने जा रहे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र के 71 वर्षों में 15 विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें केवल 7 जने ही विधायक बने हैं। इनमें से तीन चेहरों ने तो मिलकर एक पार्टी को 43 साल राज में रखा है। इस बार फिर कड़ा मुकाबला होने की गुंजाइश दिख रही है, देखना है कौन बाजी मारता है।
दूसरी जीत के लिए 33 साल का इंतजार
सांचौर विधानसभा क्षेत्र से अब तक किशोरसिंह राजपूत एक बार, लक्ष्मीचंद मेहता दो बार, रघुनाथराम विश्नोई पांच बार, कनकराज मेहता एक बार, हीरालाल विश्नोई दो बार, जीवाराम चौधरी दो बार व सुखराम विश्नोई दो बार विधायक रहे हैं। इस प्रकार से 71 साल में हुए 15 चुनाव में 7 जने यहां से विधायक निर्वाचित होने में कामयाब हुए हैं। यहां एक रोचक तथ्य यह भी है कि जहां रघुनाथराम विश्नोई लगातार चार बार विधायक बने, वहीं लक्ष्मीचंद मेहता को पहली बार जीतने के बाद दूसरी जीत हासिल करने के लिए 33 साल इंतजार करना पड़ा। 1957 में रामराज्य पार्टी से विधायक बने लक्ष्मी चंद को दूसरी जीत 1990 में भाजपा के जरिए मिली। उसके बाद जीतने वाला हर व्यक्ति दो बार विधायक बनने के बाद तीसरी बार हारा है, इस बार कांग्रेस से सुखराम विश्नोई भी लगातार दो बार से विधायक है, देखना होगा कि जनता किस प्रकार का परिणाम देती है।
कांग्रेस का भरोसा विश्नोई पर
सांचौर विधानसभा सीट पर भाजपा ने जरूर टिकट बदली, लेकिन कांग्रेस ने सदैव विश्नोई समाज पर भरोसा किया, अब तक के 15 चुनाव में 9 बार कांग्रेस जीती है, इनमें तीन विष्णोई विधायक बने। सबसे पहले 1962 से लेकर 1990 तक रघुनाथ राम विश्नोई का राज रहा, इसमें 1980 से 1985 तक कनकराज मेहता निर्दलीय जीते। रघुनाथराम विश्नोई पांच बार विधायक रहे, उन्होंने 23 वर्ष विधायकी की। लगातार 18 वर्ष राज करने में अभी तक वो सबसे आगे हैं। उनके बाद दस साल हीरालाल विश्नोई और दस साल सुखराम विश्नोई ने कांग्रेस को राज में रखा। इस लिहाज से कांग्रेस के भरोसेमंद तीन विश्नोई उम्मीदवारों ने 43 साल तक राज में रखा।
बीजेपी ने ट्रेंड बदला पर सफल नहीं हो पाए
भाजपा ने सांचौर से ट्रेंड बदला, लेकिन खास सफल नहीं हो पाए। 1998 से लेकर 2018 तक चार बार चौधरी समाज को व एक बार मिलापचन्द कानूनगो को टिकट दी, लेकिन सफल नहीं हो पाए। यहां जीवाराम चौधरी को भाजपा ने तीन बार टिकट दिया, जिसमें केवल एक बार जीत पाए, मोदी लहर में भी बुरी हार के बाद भाजपा यहां उभर नहीं पाई। इस बार फिर से भाजपा ने सांसद देवजी पटेल और कांग्रेस ने सुखराम विश्नोई को मैदान में उतारा है, दोनों अनुभवी है। जनता के परिणाम का इंतजार है।