- जयपुर में बैठे बुजुर्ग व्यक्ति को आहोर से चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही कांग्रेस
जालोर. युवाओं, महिलाओं और क्षेत्र में सक्रिय रहने वाले जिताऊ को मौका देने का दम्भ भरने वाले कांग्रेस एक बार मुकर जाए तो भी कोई अचंभित करने वाली बात नहीं होगी। क्योंकि सूत्रों के मुताबिक ऐसे संकेत मिले है कि कांग्रेस पार्टी की ओर से आहोर सीट पर एक ऐसे व्यक्ति का नाम पार्टी प्रत्याशी के रूप में तय करने जा रही है जो न तो किसी कार्यकर्ता को जानता है और न उन्हें बूथों की जानकारी रखता है। जी हां, ताजा अपडेट के मुताबिक कांग्रेस की ओर से पैनल में चल रहे सभी नामों को खारिज कर चार साल पहले राजस्थान पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त मंगलाराम चौधरी को मौका देने की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात होने के बाद उन्हें सम्भवतया हरी झंडी मिलने की बात सामने आई है। अगर किसी प्रकार से ठोस विरोध नहीं हुआ तो सम्भवतया कांग्रेस की पहली सूची में ही उनका नाम तय बताया जा रहा है। ऐसे में पिछले पांच से दौड़ भाग कर रहे उन नेताओं के मंसूबों पर एक बार फिर पानी फिरता दिख रहा है।
कौन है मंगलाराम चौधरी
जानकारी के मुताबिक मंगलाराम चौधरी राजस्थान पुलिस सेवा में कार्यरत थे। वर्ष 2019 में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए थे। मूलतः आहोर उपखण्ड के सराणा गांव के निवासी है, लेकिन लम्बे समय से जयपुर में ही शिफ्ट बताये जा रहे हैं। आहोर क्षेत्र में उनकी सक्रियता नगण्य रहने के कारण उनकी कोई खास पहचान भी नहीं है। इसका नुकसान सीधे तौर पर पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
क्या मंगलाराम आहोर सीट जीता पाएंगे?
आहोर विधानसभा सीट पर लंबे समय से भगराज चौधरी की राजनीति चली है। वे अंतिम बार 2008 में यहां से विधायक चुने गए थे। उसके बाद से परिस्थितियां बदल गई है। वर्ष 2013 व 2018 में भाजपा ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है। बीते पांच साल में कांग्रेस पार्टी की सरकार होने के कारण यहां के कार्यकर्ताओं ने काफी मेहनत कर पार्टी को मजबूती देने का प्रयास किया गया। इस बार भी यहां से पूर्व प्रत्याशी सवाराम पटेल, सरोज चौधरी, लालसिंह धानपुर, उमसिंह राठौड़, खीमाराम चौधरी जैसे नेताओं ने मेहनत की। पार्टी के समक्ष अपनी दावेदारी जताई, लेकिन अब उन्हें दरकिनार कर नया बुजुर्ग चेहरा मैदान में उतारने की कोशिश पार्टी के लिए मुश्किल भरी हो सकती है। बताया जा रहा है कि यहां से पुखराज पाराशर का भी नाम चला था, लेकिन जातीय समीकरण के कारण उनके नाम पर सहमति नहीं बन पाई। लिहाजा जातीय समीकरण को बरकरार रखने के लिए ही मंगलाराम चौधरी का नाम आगे किया गया है।
नया नाम सुनते ही कार्यकर्ताओं में छाई निराशा
बताया जा रहा है कि मंगलाराम चौधरी के नाम पर जयपुर में मंथन शुरू होते ही आहोर क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल बन गया। कुछ कार्यकर्ताओं ने डीडीटी न्यूज से बातचीत में बताया कि पांच साल से पार्टी के लिए दौड़ने वाले कार्यकर्ताओं के सामने पार्टी ऐसा चेहरा पेश कर रही है, जिसे कभी देखा तक नहीं। पार्टी के पास ऐसी कोई मजबूरी भी नहीं कि कोई मजबूत चेहरा नहीं हो, इस बार टिकट पर दावेदारी जताने वाले कई नेता है जो क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते है।
फिर पार्टी के विचार कितने मजबूत
दरअसल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने कई बार ऐसा कहा है कि पार्टी क्षेत्र में सक्रिय जिताऊ को मौका देगी, लेकिन इस प्रकार के चेहरों पर मंथन कर पार्टी फिर यही संकेत दे रही है कि उनके विचार बदल सकते हैं। आपको बता दें कि भाजपा ने आहोर में पिछले चुनाव में बड़ी रणनीति बनाकर चुनाव जीता था, लेकिन पिछली बार की तरह इस बार अभी तक भाजपा त्रिकोणीय मुकाबला करने की रणनीति नहीं बना पाई है, इस कारण धरातल पर कार्य करने वाले नेताओं को यकीन है कि यहां से दावेदारी करने वालों में से किसी को प्रत्याशी बनने का मौका मिलता है तो कांग्रेस को जीत मिलने की संभावना भी है, लेकिन इस कारण अनभिज्ञ चेहरा थोपा जाएगा तो सीट को जीत में बदलना मुश्किल हो सकता है। इससे भाजपा को एक बार फिर दांव खेलने में मौका मिल जाएगा। अब देखना है कि कांग्रेस मजबूत चेहरे को दावेदार बनाएगी या फिर औपचारिकता पूरी करने के लिए एक चेहरा पेश करेगी।