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सांचौर की सियासत… मोदी के निर्णय से गुस्साए भाजपा के छह मंडल अध्यक्षों ने 2018 में बीजेपी को हराने वाले बागी के समर्थन में दिया इस्तीफा

जालोर.

राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को दरकिनार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की मंशा रखने वाली भाजपा को घर में ही चुनौती मिलनी शुरू हो गई है। राजस्थान में लगातार हारने वाली सीटों को जीतने के लिए नरेंद्र मोदी की रणनीति व निर्णय से गुस्साए सांचौर विधानसभा क्षेत्र के छह मंडल अध्यक्षों ने शनिवार को इस्तीफा भेज दिया है। इनकी मांग है कि पार्टी की ओर से जिन्हें टिकट दिया है उस पर पुनर्विचार किया जाए। उन्होंने इस्तीफा में बताया कि संगठन एवं भाजपा कार्यकर्ताओं की भावनाओं को दरकिनार कर अप्रत्याशित रूप से सांसद देवजी पटेल को प्रत्याशी बनाने से हम सभी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता आहत है। क्योंकि धरातल पर पिछले 5 वर्षों से संगठन के प्रत्येक कार्य में भागीदारी निभाने में पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी एवं पूर्व प्रत्याशी दानाराम चौधरी का हमेशा साथ एवं पूर्ण सहयोग रहा है। क्षेत्र के संपूर्ण मतदाताओं की भावना इन दोनों के साथ में जुड़ी हुई है। सभी विषयों को देखते हुए सभी मंडल अध्यक्ष सामूहिक रूप से अपने दायित्व से इस्तीफा दे रहे हैं। यहां सांचौर नगर मंडल, सांचौर ग्रामीण मंडल, टांपी-डूंगरी मंडल, जानवी, अरणाय व चितलवाना मंडल के अध्यक्षों ने इस्तीफा भेजा है।

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मोदी ने सात सांसद उतारे हैं मैदान में

भाजपा ने पहली लिस्ट में प्रदेश की 41 सीटों पर प्रत्याशी तय किये। इनमें सात सांसदों को भी उतारा गया है। इनमें से 39 सीट लगातार बीजेपी हारती रही है। सांचौर सीट पर भी बीजेपी लगातार तीन चुनाव हार चुकी है। इसे देखते हुए नरेंद्र मोदी ने सांसद देवजी पटेल को सांचौर से प्रत्याशी बनाया है, लेकिन वर्ष 2018 में भाजपा के प्रत्याशी दानाराम चौधरी को बगावत कर हराने वाले जीवाराम चौधरी के पक्ष में भाजपा के छह मंडल अध्यक्षों ने पार्टी को इस्तीफा भेज दिया है। इनका कहना है कि टिकट घोषणा के बाद जीवाराम और दानाराम दोनों एक हो गए हैं, टिकट पर पुनर्विचार कर इनमें से किसी एक को दिया जाए, राजनीतिक रूप से यह पार्टी को एक प्रकार से चुनौती भी है।

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जिलाध्यक्ष की साख पर भी लगेगा बट्टा

इस प्रकार से सामूहिक रूप से मंडल अध्यक्षों की ओर से दिए गए इस्तीफे से भाजपा जिलाध्यक्ष की साख पर भी बट्टा लगा है, क्योंकि पार्टी के निर्णय को दरकिनार कर व्यक्ति विशेष के पक्ष में जाने वाले पदाधिकारी भविष्य में संगठन को कितना मजबूत कर पाएंगे इस पर भी संशय रहेगा। एक तरह से सीधे तौर पर यह भी कहा जा सकता है कि संगठन में मंडल अध्यक्षों के चयन पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है।

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इनका कहना है …

हम पार्टी के प्रति वफादार है, बिना सेना का सेनापति क्या करेगा। इसलिए इस्तीफा भेजा है।

– परेन्द्र व्यास, भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष, सांचौर

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जीवाराम के समर्थकों के साथ टिकट मांगने हम भी गए थे, हमारे विश्वास को तोड़ दिया, इसलिए इस्तीफा दिया है।

– सांवलाराम देवासी, अध्यक्ष सांचौर ग्रामीण मंडल भाजपा

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हमें पहले ही पता चल गया था कि हमारी टिकट कट रही है, इसलिए हम जयपुर गए थे, अब दोनों एक है।

– डूंगराराम जाट, टांपी-डूंगरी भाजपा मंडल अध्यक्ष

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हमने पद से भले इस्तीफा दिया हो, लेकिन आज भी है पार्टी के साथ।

– देवेंद्रसिंह, अध्यक्ष भाजपा जानवी मंडल

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पार्टी हमारे लिए सर्वोपरि है, हमने पद से इस्तीफा दिया है पार्टी से नहीं।

– माधाराम पुरोहित, चितलवाना मंडल अध्यक्ष

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संगठन के निर्णय को चुनौती देना ठीक नहीं, पार्टी की ओर से लिया गया निर्णय सर्वोपरि है, मंडल अध्यक्षों के इस्तीफे मुझे अभी मिले नहीं है, मीडिया के जरिये जानकारी मिली है। धीरे-धीरे परिस्थितियों में सुधार हो जाएगा।

– श्रवणसिंह राव, जिलाध्यक्ष भाजपा जालोर

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