- सड़क दुर्घटना में गौरक्षा दल के भरतकुमार नहीं रहे
जालोर. सिरोही मार्ग पर मण्डवाड़ा के पास गुरुवार को हुई एक सड़क दुर्घटना में एक युवक की मौत हो गई। युवक की शिनाख्त जालोर निवासी भरत कुमार के रूप में हुई है। जानकारी के मुताबिक भरतकुमार टांक व मनोहर मेघवाल मोटरसाइकिल पर सवार होकर जा रहे थे। मंडवाड़ा के निकट सड़क पर सामने ओवरटेक करती जालोर डिपो की रोडवेज बस आई और उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में भरतकुमार की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि उसका साथी मनोहर घायल हो गया। उसे उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। घटना होते ही मौके से रोडवेज चालक दौड़ गया। घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। इस दौरान यहां से गुजर रहे सिरोही भाजपा नेता दलपत पुरोहित व हेमंत पुरोहित ने जानकारों को इस घटना के बारे में सूचित किया। जिसके बाद परिजन घटनास्थल के लिए रवाना हुए। वहीं सूचना मिलते ही नजदीकी थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। लोगों ने रोडवेज बस चालक के विरुद्ध आक्रोश जताते हुए प्रदर्शन किया।
गायों के सेवा के लिए सदैव तैयार रहते थे भरतकुमार
बताया जा रहा है कि भरतकुमार गोरक्षा दल के अध्यक्ष थे। वे हमेशा गायों की सेवा के लिए तैयार रहते थे। लम्पी बीमारी में भी कई बीमार गायों के उपचार में महत्वपूर्ण सहयोग दिया। उन्होंने गायों की सेवा के लिए अपने स्तर पर एम्बुलेंस की व्यवस्था की थी, जिसके जरिये घायल गोवंश की सेवा करते थे, उन्होंने घुमन्तू गायों के लिए बिशनगढ़ रोड पर गोशाला भी संचालित की। जिसमें असहाय गायों की सेवा की जाती है। अब भरतकुमार के निधन की खबर से उनके समर्थकों में शोक की लहर छा गई।
इनका कहना है…
भरत भाई सेवाभावी व्यक्ति थे। वे गोसेवा व धार्मिक कार्यों में सदैव बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे। इंसानों के लिए तो हर कोई कार्य करता है, लेकिन गायों के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया था। हमने एक सेवाभावी व्यक्ति खो दिया है।
– रतन सुथार, सामाजिक कार्यकर्ता, जालोर
भरत भाई गोरक्षक थे, गायों के लिए उनकी सेवा बेहद सराहनीय थी। किसी हर परिस्थिति में गायों की सेवा में तैयार रहते थे। उनका व्यक्तित्व हमारे लिए प्रेरणादायी है। हमें उनकी कमी खलेगी।
– राहुल जाट, व्यवसायी, जालोर
गायों की सेवा में भरतभाई का कोई सानी नहीं है। वे जीव दयालु थे। उन्होंने लम्पी जैसी बीमारी से जूझ रही गायों की सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे खुद इसके लिए एम्बुलेंस भी रखते थे। उनके निधन से बड़ा नुकसान हुआ है।
– हुक्मीचंद सोलंकी, युवा कार्यकर्ता, जालोर