जालोर. पशु चिकित्सक संघ राजस्थान ने विभिन्न मांगों को लेकर शनिवार को जिला कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया। नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) की मांग को लेकर पशु चिकित्सकों ने कामधेनु बीमा योजना व गोपालन विभाग के कार्यों का संपूर्ण बहिष्कार किया। ज्ञापन में बताया कि 6 सितंबर को गुलाबपुरा भीलवाड़ा से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कामधेनु बीमा का योजना का शुभारंभ किया गया था। राज्य सरकार द्वारा 750 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान रख राज्य के 80 लाख पशुओं को मुफ्त बिना बीमा देने का लक्ष्य रखा गया। ज्ञापन में बताया कि महंगाई राहत कैंप में सरकार द्वारा 1.10 करोड़ मुफ्त बीमा गारंटी कार्ड वितरित किए गए हैं। आचार संहिता लगने वाली है तथा पशु चिकित्सकों की नॉन प्रेक्टिस अलाउंस की मांग को लेकर इस योजना के राज्यव्यापी बहिष्कार से अब यह योजना अंधकार में जाती दिखाई दे रही है। वेटनरी डॉक्टर्स एसोसिएशन व पशु चिकित्सक संघ राजस्थान के संयुक्त आह्वान पर पशु चिकित्सकों ने कामधेनु बीमा योजना के साथ-साथ गोपालन विभाग के समस्त कार्यों का राज्यव्यापी बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। पशु चिकित्सकों ने प्रदेश भर में काली पट्टी बांधकर पशु चिकित्सालयों में सामान्य चिकित्सा कार्य करते हुए सभी जिला कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया।
वेटनरी डॉक्टर्स एसोसिएशन पशु चिकित्सक संघ की जिला इकाई ने ज्ञापन सौंपा। संघ के अध्यक्ष ने बताया कि 11 सूत्री मांगों के क्रम में 17 दिसंबर से 40 दिवस तक जयपुर में धरना देकर आमरण अनशन किया गया था। उस दौरान पशुपालन मंत्री लालगढ़ लालचंद कटारिया ने धरना स्थल पर पहुंचकर सभी मांगे पूर्ण करने का आश्वासन दिया था। इसके बाद संगठन से हुई अनेक दौर की वार्ता में हुई।
किंतु बिना एनपीए की घोषणा की बीमा योजना का शुभारंभ करवाकर पशु चिकित्सकों के हितों पर कुठाराघात किया गया है पांचवें छठे और सातवें आयोग की स्पष्ट सिफारिश के अनुरूप एनपीए नहीं दिए जाने तक पशु चिकित्सक कामधेनु बीमा योजना व गोपालन के समस्त कार्यों का राज्य व्यापारी बहिष्कार जारी रखेंगे। संस्थाओं की तालेबंदी की भी चेतावनी भी दी गई है।