- जिले की कार्यकारिणी गठन के बाद तो आक्रोश बढ़ा
दिलीप डूडी, जालोर. इस वर्ष अंतिम महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम प्रकार के किए जा रहे इंतजामात विशेषकर आहोर क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के लिए कम पड़ते नजर आ रहे है। दरअसल, लगातार दो बार से आहोर विधानसभा चुनाव कांग्रेस हार गई थी, लिहाजा इस बार वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर उच्च स्तर से ही पार्टी कुछ नई रणनीति बनाने में जुटी हुई थी, इसमें स्थानीय स्तर से बड़े नेताओं का फीडबैक भी लिया जाने लगा। आहोर सीट जीतने की गणित में दावेदारों के रूप में वरिष्ठ नेता व राजस्थान जन अभाव अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष पुखराज पाराशर का भी नाम चलने लगा, हालांकि खुद पाराशर इससे इनकार करते रहे, लेकिन कुछ महीनों पहले उनकी 20 किलोमीटर की पैदल यात्रा, संगठन का विस्तार और आहोर पर विशेष फोकस कुछ इसी प्रकार के संकेत जाहिर रहे हैं, इसके बावजूद हाल ही में जब काँग्रेस की जिला कार्यकारिणी गठित की तो उन कार्यकर्ताओं में उबाल नजर आया, जिनकी मंशा पूरी नहीं हो पाई थी। लिहाजा कार्यकर्ताओं ने तो सार्वजनिक रूप से इसका दोष पाराशर पर ही मढ़ना शुरू कर दिया। इस प्रकार के असंतोष से कांग्रेस में फिर से चिंताजनक स्थिति बन गई है।
पाराशर ने समीकरण बनाने के लिए दो प्रकार के दांव खेले
जालोर में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा पुखराज पाराशर ही है। लिहाजा, आहोर सीट से जीत दर्ज करने के लिए पाराशर दो बड़े दांव लगाए। ताकि जनता व संगठन दोनों में अपनी मजबूत पकड़ कायम रहा सके।
पहला दांव विकास के कार्य
पाराशर ने दूसरे स्थानों के बजाय विकास कार्य करवाने में आहोर उपखण्ड को बीते वर्ष ज्यादा तव्वजो देना शुरू किया। यहां पाराशर ने आहोर को नगरपालिका का दर्जा दिलाया। इसी प्रकार आहोर में पुलिस उप अधीक्षक स्तर का कार्यालय व कोर्ट खुलवाया। इसी प्रकार कई स्थानों पर सड़कों के कार्यों की स्वीकृति दिलवाई। ताकि विकास कार्यों की बदौलत जनता के सामने अपनी बात आसानी से रख सके।
दूसरा दांव संगठन का नेतृत्व आहोर को
पाराशर ने विकास कार्यों के साथ साथ कांग्रेस पार्टी के संगठन में नेतृत्व की जिम्मेदारी भी आहोर को दी गई। जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष आहोर क्षेत्र के भंवरलाल मेघवाल को बनाया। इसी प्रकार युवक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी आहोर क्षेत्र के दीपक मेघवाल बने। इसी प्रकार एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष भी आहोर क्षेत्र के गजेसिंह वेडिया को बनाया गया। वहीं जिला कांग्रेस में संगठन महासचिव की भी जिम्मेदारी आहोर क्षेत्र के वीरेंद्र जोशी को दिलाई गई। ताकि संगठन पर भी इस क्षेत्र से पकड़ बनी रहे।
खामियां भी बन रही राह में रोड़ा
आहोर क्षेत्र पर पाराशर के विशेष फोकस रखने के बावजूद कई प्रकार की खामियां काँग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है। सबसे बड़ा विषय जालोर-रोहट रोड का रहा है। चार साल से टूटी इस सड़क की हालत अभी तक नहीं सुधर पाई है। हाल ही में मुख्यमंत्री खुद ने कहा कि यह जनवरी 2024 तक सुधर पाएगी। सबसे बड़ी निराशा इसी से हुई है। इसके अलावा जवाई बांध भरने के बावजूद नदी में पानी नहीं छोड़ा गया। पाराशर की ओर से इस मामले में कमजोर पैरवी के कारण लोगों में नाराजगी भी है। इसके अलावा आहोर क्षेत्र में इस बार कई ब्लाइंड मर्डर केस हो गए, लेकिन पाराशर ने पुलिस पर कभी दबाव नहीं बनाया। जिस कारण इन मामलों के दोषी खुले आम घूम रहे है। शंखवाली के बालक लक्ष्मण मीणा हो या टीकमचंद पुरोहित या फिर अमृत देवासी इन मामलों में पुलिस ने गम्भीर जांच नहीं की, जिस कारण आरोपी खुले घूम रहे हैं।
कार्यकारिणी से नाराज कार्यकर्ता खुले आम जता रहे रोष
तीन साल बाद हाल ही में जिला कार्यकारिणी गठित हुई। इसमें अव्यवस्थित तरीके से बांटे गए पदों को लेकर कार्यकर्ता भी नाराज चल रहे हैं। कई नए नवेले नेताओ को बड़े पदों से नवाज दिया तो कई सीनियर का कार्यकारिणी में नम्बर भी नहीं लगा। जिस कारण कई कार्यकर्ता तो कांग्रेस के उस वाट्सएप ग्रुप में खुले आम नाराजगी जता रहे हैं, जिसमे स्वयं पाराशर जुड़े हुए है। लिहाजा इतना समीकरण बनाने के बावजूद असंतोष कांग्रेस के लिए चिंताजनक बना हुआ है।