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दो दिन से घूम रहे माता-पिता के अपने बच्चे के लिए रेयर रक्तदाता सुरेश बना मददगार

जालोर. मुसीबत में जो काम आए, वो ही सच्चा साथी…, यह बात दो वर्षीय बालक के माता-पिता ने कही, जिन्हें अपने बच्चे के रेयर रक्त के लिए दो दिन तक चक्कर लगाने पड़े। दरअसल, दो वर्षीय बालक दिलीप के रक्त की कमी होने पर उसके माता-पिता ने प्रयास किया, लेकिन बच्चे का रक्त समूह एबी निगेटिव रेयर रक्त होने से मिलने में आसानी नहीं थी। काफी चक्कर लगाने के बाद उन्होंने जालोर डोनर ग्रुप के नितेश भटनागर से सम्पर्क किया, जिसके बाद एक सुरेश नामक युवक इस ग्रुप का मिला, जो इस परिवार की पीड़ा को कम करने में सहायक साबित हुआ।

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भटनागर से मिलकर मिली राहत

जानकारी के मुताबिक जालोर के मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र (एमसीएच) में जालोर निवासी दो वर्षीय बालक को दिलीप को रक्त की कमी होने पर उसे एबी निगेटिव खून की जरूरत पड़ी। चिकित्सक ने बावड़ी निवासी अर्जुन कुमार को बताया कि उसके बच्चे के शरीर में रक्त की कमी है और हिमोग्लोबिन महज 3.6 है। उसे एमसीएच में भर्ती करवाया गया, चिकित्सकों ने उसे भर्ती किया, लेकिन एबी निगेटिव रक्त मिलना मुश्किल हो गया।

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एबी नेगेटिव रक्त रेयर होने के कारण बच्चे के माता-पिता दो दिनों से इधर-उधर घूम रहे थे।बताया जा रहा है दुनिया में केवल पांच फीसदी से कम लोग ही रेयर रक्त वाले ही लोग होते है। इनमें से भी निगेटिव ग्रुप वाले 0.5 प्रतिशत ही होते हैं। इसी कारण इस ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को ब्लड की जरूरत पड़ने पर परेशानी आती है। शहर के किसी भी ब्लड बैंक में इस ग्रुप का ब्लड उपलब्ध नहीं होता है।

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बच्चे के माता-पिता ब्लड बैंक में पहुंचे, लेकिन रेयर एबी नेगेटिव ब्लड न होने पर चारों और खून के लिए हाथा जोड़ी कर रोने लगे। फिर किसी के सहारे जालोर ब्लड डोनर ग्रुप के संरक्षक नितेश भटनागर के बारे में उन्हें जानकारी मिली। उन्होंने भटनागर को कॉल किया। भटनागर रक्त उपलब्ध करवाने में हर किसी की मदद को उत्सुक रहते है। नितेश भटनागर ने रक्त मित्र एबी नेगेटिव रक्तदाता सुरेश सोनी पुत्र बगदाराम से सम्पर्क किया। जिस पर सुरेश ने रेयर रक्त दान कर बच्चे को पीड़ा से मुक्ति दिलाने में सहायक हुआ।

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भाभी की समस्या देख बने रक्तदाता

रक्तमित्र सुरेश सोनी ने बताया कि में पहले सुई लगाने से भी बहुत डरता था परन्तु जब अपनी भाभी को प्रॉब्लम हुई तो प्रथम बार उनके लिए रक्तदान कर खुशी मिली और उसके बाद जालोर ब्लड डोनर ग्रुप टीम के साथ जुड़ गए और हर जरूरत के समय तैयार रहते है। सुरेश ने चौथी बार रक्तदान किया।

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