- बावतरा में 116 में से 76 फेल, खेतलावास में 88 में से 42 फेल
- सुराणा व चौराउ केंद्रों की स्कूलों का दसवीं का परिणाम निराशाजनक
जालोर. प्रदेश में इस बार दसवीं कक्षा का परिणाम उत्साहजनक रहा है। जालौर जिले ने भी छलांग लगाते हुए प्रदेश में सातवां स्थान प्राप्त किया है। यहां के 92.70 प्रतिशत विद्यार्थी पास हुए है, लेकिन जिले के सायला क्षेत्र में कुछ स्कूल ऐसे भी है, जहां बड़ी संख्या में विद्यार्थी फेल हो गए हैं। यह तथ्य चौंकाने वाले हैं। ना केवल विद्यार्थियों के लिए बल्कि शिक्षा विभाग के लिए भी यह स्थिति चिंताजनक है। सायला के चौराउ व सुराणा में जिन स्कूलों के सेंटर थे, उनके दसवीं कक्षा के परिणाम बेहद चिंताजनक सामने आए हैं।
खेतलावास व बावतरा के परिणाम बेहद चिंताजनक सायला उपखंड के बावतरा गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों का परिणाम देखकर हर कोई चिंता में पड़ सकता है। दरअसल, यहां पर 116 में से 115 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी, लेकिन इनमें से 76 विद्यार्थी फेल हो गए। जबकि चार को सप्लीमेंट्री आई है। 15 विद्यार्थियों को पास करने के लिए ग्रेस लगाना पड़ा। यहां के प्रिंसिपल गणेशाराम चौधरी का कहना है कि स्कूल में हिंदी, विज्ञान व अंग्रेजी विषयों के विषय अध्यापक के पद रिक्त चल रहे हैं। साथ ही प्रिंसिपल व वाइस प्रिंसिपल पद लंबे समय से रिक्त चल रहे है।
उन्होंने बताया कि बीते वर्ष यहां का परिणाम अच्छा था, लेकिन इस वर्ष जो परिणाम आया है, वह सबके लिए चिंताजनक है। गणेशाराम ने बताया कि क्षेत्र के चौराउ व सुराणा केंद्रों पर जिन स्कूलों के सेंटर थे, उन स्कूलों के परिणाम इस बार बेहद निराशाजनक रहे हैं। इसी प्रकार खेतलावास में स्कूल में दसवीं कक्षा के 88 विद्यार्थियों में से 42 विद्यार्थी फेल हो गए हैं। जबकि 10 विद्यार्थियों को सप्लीमेंट्री मिली है। खेतलावास के सरपंच हाज़ाराम चौधरी ने कहा कि शिक्षकों की कमी के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है। साथ ही पिछले कुछ समय से क्षेत्र में कुछ ऐसी घटनाएं हुई है, जिनकी वजह से शिक्षा का माहौल भी गड़बड़ा गया है। इसका असर स्कूली बच्चों पर भी पड़ा है। हम सबके लिए चिंताजनक विषय है। स्कूलों में माहौल सुधारने का प्रयास करेंगे। इसी प्रकार क्षेत्र के देताकला, तिलोड़ा स्कूलों का परिणाम भी खास नहीं कहा जा सकता है।
सुराणा में निजी स्कूल में हुई थी घटना
बीते वर्ष सुराणा की एक निजी स्कूल में बच्चे को थप्पड़ मारने की घटना हुई थी। जिसमें उपचार के दौरान बच्चे की मृत्यु हो गई थी। इस प्रकरण ने पूरे देश में सियासी रंग ले लिया था। जिस कारण सुराणा लंबे समय तक लाइम लाइट में रहा। उसके बाद भी इन क्षेत्रों में कुछ छिटपुट घटनाएं हुई, जिनसे सामाजिक सौहार्द भी बिगड़ा। माना जा सकता है कि इनका असर स्कूली बच्चों पर भी पड़ा होगा। लिहाजा दसवीं का परिणाम सचेत करने वाला साबित हो सकता है।