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लक्ष्य से क्यों भटक रहा है युवा?

आरती शांत डोडा, जम्मू. माना जाता है कि जिस समाज का युवा जागृत हो उसका आधार प्रगति तथा बुलंदी की ओर होता है. युवा पीढ़ी हमारे समाज का दर्पण है और हम अपना भविष्य अपने युवाओं की सोच के आधार पर भी तय कर सकते हैं. जिस युवा शक्ति का हम आजादी से पहले का वर्णन करते हैं तो हृदय आज भी नई उम्मीदों से जाग उठता है. उसी युवा शक्ति की बात आज की जाए तो ऐसा लगता है कि आज का युवा अपने आप में ही बंदी बना हुआ है. देश को गुलामी से आजाद कराने वाला युवा आज आधुनिक समाज में किसी मानसिक गुलाम की तरह नज़र आ रहा है. आधुनिकीकरण के कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक तत्व होते हैं. ऐसा लगता है कि आज की युवा पीढ़ी नकारात्मक पक्ष की ओर ज़्यादा बढ़ रही है. जो युवा शक्ति साहस और उत्साह से भरा होता था. आज वह अपनी आत्मशक्ति से दूर नशे की गिरफ्त में आता जा रहा है. इसी कारण आज का युवा मानसिक समस्याओं का शिकार होता जा रहा है. यह नशा उसे इतना खोखला कर रहा है कि वह आत्महत्या जैसे कदम उठा रहा है.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार 2019 में देश में एक लाख 39 हज़ार लोगों ने आत्महत्या की है. जिसमें 67 प्रतिशत यानि 93 हज़ार लोगों की उम्र 18 से 45 साल थी. इन आत्महत्याओं में दूसरा सबसे बड़ा कारण नशा था. करीब 19 प्रतिशत लोगों ने नशा और उससे जुड़ी समस्याओं के कारण खुद की जीवन लीला समाप्त कर ली है. दरअसल हमारे युवाओं का एक बड़ा वर्ग नशे की चपेट में आता जा रहा है. कोकीन, हेरोइन, ब्राउन शुगर, भांग, चरस जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करके युवा अपना जीवन खराब कर रहे हैं. यह ज़हरीला पदार्थ उसे कुछ समय के लिए सुखद अनुभूति देता है. परंतु जैसे ही नशा का प्रभाव खत्म होता है, व्यक्ति फिर से उस नशे की चाहत रखता है और जब उसे नहीं मिलता है तो वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है.

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देश के अन्य हिस्सों की तरह जम्मू कश्मीर का युवा भी इस सामाजिक बुराई की चपेट में आ चुका है. इसका एक उदाहरण कठुआ जिला के गांव नगरी का रहने वाला 25 वर्षीय संजू है. बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले संजू पास रोज़गार का कोई माध्यम भी नहीं था. धीरे धीरे वह नशे का आदी होता चला गया. पहले वह नशा करने के लिए अपने दोस्तों से उधार लेता था. वह घर बहुत कम आता था. लेकिन जब भी आता तो पैसे के लिए लड़ाई झगड़ा करता था. दोस्तों से मांगे हुए उधार ज़्यादा होने के बाद वह न केवल उसे पैसे देना बंद कर दिये बल्कि अपने पैसे भी वापस मांगने लगे. नशा करने के लिए जब उससे कोई भी पैसा नहीं दे रहा था, तब वह अपने परिवार वालों से मांगने लगा. लेकिन जब उन्होंने भी पैसे देने से इंकार कर दिया तो उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

जम्मू कश्मीर में युवाओं का पथभ्रष्ट होने की एक बड़ी वजह बढ़ती बेरोजगारी भी है. आज की इस मौजूदा स्थिति में कई युवा ढेरों डिग्रियां प्राप्त करके बेरोज़गार बैठा है. सरकारी नौकरियों की रिक्तियां इतनी नहीं है कि सभी को सरकारी नौकरी मिल सके. अगर बात जम्मू कश्मीर केंद्र प्रशासित राज्य की जाए तो यहां सरकारी नौकरियों में बहाली के लिए भ्रष्टाचार के इतने खुलासे हो रहे हैं जिसकी वजह से युवाओं का एक बड़ा वर्ग मानसिक तनाव से गुज़र रहा है. इस संबंध में डोडा के रहने वाले समाजसेवी नासिर मीर का कहना है कि “युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. जो युवा पिछले कई सालों से सरकारी नौकरी की चाह में दिन-रात पढ़ाई कर रहा है, अब वह भ्रष्टाचार के कारण मानसिक तौर पर पूरी तरह टूट चुका है. युवा ही एक ऐसी शक्ति है जो समाज को आगे बढ़ाता हैं. परंतु जब उसके भविष्य के साथ ही खिलवाड़ होगा तो उससे अच्छे की उम्मीद कैसे की जा सकती है?”

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ऐसी परिस्थिति में युवा अपना मानसिक संतुलन खो देता है और वह या तो नशे की ओर मुड़ जाता है या फिर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार युवा पीढ़ी हर एक लाख नागरिकों में से 21 प्रतिशत आत्महत्या कर रही है. युवाओं में एकाग्रता की कमी अपने आसपास के वातावरण को सही प्रकार से समझने में असमर्थ हो रही है. उसमें ऊर्जा और उत्साह की कमी नजर आ रही है. जिसके कारण वह आत्महत्या करने तक का विचार कर लेता है. सामाजिक कार्यकर्ता रियाज़ अहमद बताते हैं कि “ऐसा नहीं कहा जा सकता कि देश की प्रगति में युवा योगदान नहीं दे रहा दे रहा है. परंतु जितना एक युवा का योगदान होना चाहिए उतना नहीं मिल पा रहा है. इसके लिए उसका मानसिक रूप से स्वस्थ और ऊर्जावान होना ज़रूरी है. यदि कोई युवा मानसिक रूप से टूट जाता है तो उसे केवल आत्महत्या ही एकमात्र रास्ता नज़र आता है. जिससे उसे बाहर निकालना ज़रूरी है.”

युवाओं को नशा या आत्महत्या जैसी प्रवृति से बचाने के लिए विभिन्न राज्यों समेत राष्ट्रीय स्तर पर भी कई स्वयंसेवी संस्थाएं काम कर रही हैं. जिनकी मदद से न केवल उन्हें इससे उबारा जा सकता है बल्कि उनका मार्गदर्शन भी किया जाता है. अवसाद की स्थिति में भारत सरकार द्वारा चलाई गई जीवनसाथी हेल्पलाइन नंबर 18002333330 और नशा मुक्ति केंद्र 09988891696 पर भी कॉल कर सकते हैं. इसके अलावा 9152987821 (आई कॉल) और आसरा संस्था द्वारा जम्मू क्षेत्र के युवाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर +91-9697606060 भी संचालित कर रहा है. जिससे जुड़कर युवा मार्गदर्शन प्राप्त कर समाज के निर्माण में फिर से अपना योगदान दे सकते हैं. (चरखा फीचर)

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