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कृषिजालोर

फसलों में सफ़ेद लट का प्रकोप होने से बचाव के लिए करें आवश्यक प्रबंधन

जालोर. कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा फसलों में सफेद लट के प्रकोप होने से बचाव के लिए कृषकों को पूर्व में ही आवश्यक प्रबंधन करने के उपाय व सुझाव बताए गये हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक (पौध संरक्षण) डॉ. प्रकाशचन्द यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि सफ़ेद लट कोलियोप्टेरा गण का सदस्य है तथा यह एक वर्ष में एक ही पीढ़ी विभिन्न अवस्थाओ से गुजरता हुआ पूरी करता है । जालोर जिले में इस कीट का प्रकोप प्रतिवर्ष देखा गया है इसलिए कृषक समय रहते इसका आवश्यक प्रबंधन सुनिश्चित करें।

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*सफेद लट से नुकसान*

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इस लट को गोजा लट एवं जून बीटल भी कहते है यह एक बहुभक्षी कीट है जो लगभग सभी प्रकार की फसलों को खा सकता है लेकिन यह कीट खरीफ फसलों में ज्यादा नुकसान पहुँचाता हैं। खरीफ फसलों में सफेद लट का प्रकोप मानसून के आने के साथ ही शुरू हो जाता है। हर साल इस कीट की लट्टे मूंगफली, बाजरा, ज्वार, मिर्च, तिल इत्यादि खरीफ की फसलों की जड़ों को खाकर हानि पहुंचाती है। यह कीट अनुकूल परिस्थिथियां में 80-100 प्रतिशत तक हानि पहुँचा सकता है। इस कीट के वयस्क नीम, बबूल, खेजड़ी, कीकर, बेर, करोंदा, अमरूद के पत्तों को खाकर भी नुकसान करते हैं।

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*सफेद लट की पहचान व जीवनचक्र*

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सफेद लट के प्रौढ़ का रंग बादामी होता है तथा यह कीट प्रकाश की तरफ आकर्षित होते है। शाम के 8 बजे यह कीट बाहर निकलता है और सुबह 5 बजे के पहले वापस जमीन में चला जाता है। इस कीट के वयस्क की लम्बाई 22-25 मि.मी. होती है और इसके तीसरी अवस्था के गिडार की लम्बाई करीब 40-42 मि.मी. होती है।

मानसून की पहली बारिश के बाद रात में इस कीट के प्रौढ़ जमीन से निकलते हैं तथा आस-पास के वृक्षों पर बैठ जाते हैं। कुछ समय तक प्रजनन की क्रिया करने के बाद पत्तों को खाना शुरू कर देते हैं। दिन में मादा प्रौढ़ जमीन में पहुंचने के बाद अंडे देने का कार्य करती हैं। अंडों से 5 से 9 दिन के बाद पहली अवस्था के लट निकल आते हैं और करीब 10-15 दिन बाद दूसरी अवस्था की लट बनकर फसलों की जड़ों को तेजी से खाना शुरू कर देते हैं, जिससे पौधा सूखकर मर जाता है। यह कीट 3-4 सप्ताह तक दूसरी अवस्था में रहने के बाद तीसरीअवस्था की अंग्रेजी के (सी) अक्षर के आकार की लट बन जाती है जो फसलों की जड़ों के फैलाव क्षेत्र तक पहुंच जाती हैं। इस अवस्था में इस कीट को नियंत्रण कठिन कार्य है। यह अवस्था करीब 6-8 सप्ताह तक रहती है। उसके बाद ये लटें प्यूपों में बदल जाती हैं और करीब 2-3 सप्ताह के बाद प्रौढ़ बन जाती हैं। यह कीट बहुभक्षी है, इस कीट की वयस्क एवं गिडार दोनों ही अवस्था नुकसानदायक है। कीट के वयस्क जमीन/मृदा में सुसुप्तावस्था में रहते है तथा मानसून की पहली वर्षा में शाम के समय बाहर निकलते है।

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*सफेल लट पर नियंत्रण के उपाय व सुझाव*

कृषक फसल बोने के एक महीने पहले खेत की गहरी जुताई करें। मानसून आते ही खेत के आस पास प्रकाश पाश (5 प्रकाश पाश/हैक्टर) लगाकर वयस्क कीटों को एकत्रित करके नष्ट जा सकता हैं।आस पास के पेड़ां की कटाई-छटाई करें, जिससे वयस्क कीट प्रजनन नहीं कर पाये। वृक्षों के उपर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस. एल. 1 मिली./2 लीटर के हिसाब से छिड़काव करें। बुवाई के समय खेत में फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत जी. आर. 15-20किग्रा./हेक्टेयेर की दर से मिलावें। वयस्क कीटों का प्रबंधन प्रकाश पाश लगाकर करें (प्रकाश पाश पहली वर्षा के समय लगावें) इस कीट एवं इसके नियंत्रण की अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के कीट वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश चंद यादव के मो.नं. 8239440986 पर संपर्क किया जा सकता हैं।

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